1.
स्त्रियों को शिवलिंग, शालग्राम
और हनुमानजी का स्पर्श कदापि नहीं करना चाहिए। उनकी पूजा भी नहीं करनी चाहिए। वे
शिवलिंग क़ी पूजा न करके शिवमूर्ति क़ी पूजा कर सकती हैं। हाँ, जहाँ
प्रेमभाव मुख्य होता है, वहां विधि-निषेध गौण हो जाता है।
2.
स्त्रियों को रूद्राक्ष क़ी माला धारण नहीं करनी
चाहिए। वे तुलसी क़ी माला धारण करें।
3.
भगवान् क़ी जय बोलने अथवा किसी बात का समर्थन
करने के समय केवल प्रुर्शों को ही अपने हाथ ऊँचें करने चाहिए, स्त्रियों
को नहीं।
4.
स्त्री को गायत्री-जप और जनेऊ-धारण करने का
अधिकार नहीं है। जनेऊ के बिना ब्रह्मण भी गायत्री-जप नहीं कर सकता है। शरीर मल-
मूत्र पैदा करने क़ी मशीन है। उसकी महत्ता को लेकर स्त्रियों को गायत्री-जप का
अधिकार देते हैं तो यह अधिकार नहीं, प्रत्युत धिक्कार है। यह कल्याण का रास्ता
नहीं है,
प्यात्युत केवल अभिमान बढाने के लिये है। कल्याण चाहने वाली स्त्री
गायत्री-जप नहीं करेगी। स्त्री के लिये गायत्री-मंत्र का निषेध करके उसका तिरस्कार
नहीं किया है, प्रत्युत उसको आफत से चुदाय है। गायत्री-जप से ही कल्याण होता हो- यह बात
नहीं है। राम-नाम का जप गायत्री से कम नहीं है। (सबको सामान अधिकार प्राप्त हो जय, सब
बराबर हो जाएँ - ऐसी बातें कहने-सुनने में तो बड़ी अच्छी दीखती हैं, पर
आचरण में लाकर देखो तो पता लगे! सब गड़बड़ हो जाएगा! मेरी बातें आचरण में ठीक होती
है।)
5.
पति के साधु होने पर पत्नी विधवा नहीं होती। अतः
उसे सुहाग के चिन्ह नहीं छोड़ने चाहिए।
6.
पुरुष मा के चरणों में मस्तक रखकर प्रणाम करे, पर
अन्य सब स्त्रियों को दूर से प्रणाम करे। स्त्री पति के चरण-स्पर्श करे, पर
ससुर आदि अन्य पुरुषों को दूर से प्रणाम करे। तात्पर्य है क़ी स्त्री को पति के सिवाय
किसी के भी चारण नहीं चूने चाहिए। साधू-संतों को भी दूर से पृथ्वी पर सर टेककर
प्रणाम करना चाहिए।
7.
दूध पिलाने वाली स्त्री को पति का संग नहीं करना
चाहिए। ऐसा करने से दूध दूषित हो जाता है, जिसे पीने से बच्चा
बीमार हो जाता है।
8.
कुत्ता अपनी तरफ भौंकता हो तो दोनों हाटों क़ी
मुठ्ठी बंद कर लें। कुछ देर में वह चुप हो जाएगा।
9.
मुसलमान लोग पेशाब को बहुत ज्यादा अशुद्ध मानते
हैं। अतः गोमूत्र पीने अथवा छिड़कने से मुस्लिम तंत्र का प्रभाव कट जाता है।
10.
कहीं स्वर्ण पडा हुआ मिल जाय तो उसे कभी उठाना
नहीं चाहिए।
परमश्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी
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