Saturday, 11 March 2017

गृहस्थ को घर मे कुत्ता नही रखना चाहिये



युधिष्ठिर ने कहा कि मैने इसका पालन नही किया है, यह तो मेरी शरण मे आया है | मै इसको अपना आधा पुण्य देता हूँ, इसी से यह मेरे साथ चलेगा | युधिष्ठिर के ऐसा कहने पर उस कुत्ते मे से धर्मराज प्रकट हो गये और बोले कि मैने तेरी परिक्षा ली थी| तुमने मेरे पर विजय कर ली, अब चलो स्वर्ग |
तात्पर्य है कि गृहस्थ को घर मे कुत्ता नही रखना चाहिये | महाभारत मे आया है-
घर मे टूटे-फूटे बर्तन, टूटी खाट, मुर्गा, कुत्ता और अश्वत्थादि वृक्ष का होना अच्छा नही माना गया है | फूटे बर्तन मे कलियुग का वास कहा गया है | टूटी खाट रहने से धन की हानि होती है | मुर्गे और कुत्ते के रहने से देवता उस घर मे हविष्य ग्रहण नही करते तथा मकान के अन्दर कोई बडा वृक्ष होने पर उसकी जड के भीतर साँप, बिच्छू आदि जन्तुओ क रहना अनिवार्य हो जाता है, इसलिये घर के भीतर पेड ना लगाये|’
कुत्ता महान अशुद्ध्, अपवित्र होता है| उसके खान-पान से, स्पर्श से, उसके जगह-जगह बैठने से गृहस्थ के खान-पान मे, रहन-सहन मे अशुद्धि, अपवित्रता आती है और अपवित्रता का फल भी अपवित्र (नरक आदि) ही होता है|
- ग्रहस्थ मे कैसे रहे? ४२७
-स्वामी रामसुखदास जी महाराज

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