Saturday, 11 March 2017

पशुपालन



क्या करें, क्या न करें - पशुपालन
गौओ का सदा दान करना चहिये, सदा उनकी रक्षा करनी चहिये और सदा उनका पालन पोषण करना चहिये।
जो मनुष्य गौओ की सेवा करता है, उसे गोए अत्यंत दुर्लभ वर प्रदान करती है। महाभारत ८१/३३
वह गो भक्त मनुष्य पुत्र, धन, विद्या, सुख, अदि जिस- जिस वस्तुकी इच्छा करता है, वह सब उसे प्राप्त हो जाती है। उसके लिये कोई भी वस्तु दुर्लभ नहीं होती। महाभारत ८६/४०-४२
गौओ का समुदाय जहा बैठकर निर्भय पूर्वक साँस लेता है, उस स्थान के सारेपापो को खींच लेता है। महाभारत ५१/३२  
बिल्ली, मुर्गा, बकरा, कुता, सूअर तथा पक्षियों को पालने वाला मनुष्य नरक में गिरता है। विष्णुपुराण २/3/२१ ; ब्रह्मपुराण २२/२०
कुता रखने वाले के लिये स्वर्ग लोक में स्थान नहीं है, उसके यज्ञकरने और कुआ आदि बनवाने का जो पुण्यहोता है, उसे क्रोधवश नमक राक्षश हर लेते है। महाभारत, 3/१०
घर में मुगे और कुते के रहने पर देवता उस घर में हविष्य ग्रहण नहीं करते। महाभारत १२७/१६
यदि कुते, सूअर और मुर्गे की दृष्टि पड़जाय तो देवपूजन, श्राद्ध-तर्पण, ब्राह्मण-भोजन, दान और होम- यह सब निष्फल हो जाते है। मनुस्मृति 3/२३९-२४०

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