उत्तर – स्त्री को ॐ कारकी उपासना या उच्चारण नहीं करना चाहिए और जिस मंत्र में ॐ आता है उसका भी शास्त्रों में निषेध किया है | हम तो यहाँ इसके निषेध की प्रार्थना करते हैं | यदि कोई ना सुने तो हमारे को कोई मतलब नहीं | हमारे को ना तो कोई व्यक्तिगत लाभ अथवा हानि है | यह तो विनय के रूप में कहा गया है | वह माने या ना माने यह उनकी मर्जी है | वैदिक मन्त्रों का स्त्री के लिए निषेध है | वैदिक मन्त्रों में हरी ॐ होता है | स्त्री, शुद्र(द्विज को, जिनका जनेऊ संस्कार नहीं हुआ हो; उनको भी) कभी भी नहीं करना चाहिए | अच्छे-अच्छे विद्वानों की बातें सुनकर ही आपको कहा गया है | इतिहास-पुराण तो सुनने का ही नहीं, पढ़ने तक का अधिकार है |
शुद्र तथा स्त्री ओंकार का जप ना
करें | कहीं-कहीं यह भी मिलता है की – “दंडी स्वामी ही ओंकार का जप
कर सकते हैं |” किन्तु राम के नाम का उतना ही महत्व है जितना ओंकार का है | हमारे
लिए तो मुक्ति का द्वार खुला हुआ है, हम क्यों ओंकार के जप की
जिद करें | मैं तो कहता हूँ की – “अल्लाह-अल्लाह जिस प्रकार मुसलमान करते हैं, वे
यदि प्रेम में मग्न होकर करें तो उन्हें भी उतना ही फल मिलेगा |”
तुलसीदासजी राम-नाम के उपासक थे | उन्होंने
कहा- “राम नाम सबसे बढ़कर है|” उन्होंने रामचरित मानस की रचना करके राम नाम को पार
उतरने का साधन बता दिया | सूरदासजी ने कहा कि कृष्ण नाम सबसे बढ़कर है | ध्रुव
कहेंगे की “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और मुसलमान कहेंगे की “अल्लाह खुदा ही सबसे बढ़कर
है |” जैसे कोई पानी को कहें – जल, कोई कहें - आप:, कोई कहें – नीर, कोई
कहें – वाटर या पानी, कुछ भी क्यों ना हो, अर्थ तो जल ही होगा | ऐसे
ही परमात्मा के बहुत से नाम हैं कोई भी नाम लो मुक्ति मिल सकती है |
बच्चा कहता है – ‘बू’ तो
माँ समझकर उसे दूध पीला देती है | इसी प्रकार हम ओंकार का जप ना करके राम नामका जप
करेंगे, तो राम नाम के जप से हमारा उद्धार क्यों नहीं होगा ? अवश्य
होगा |
श्री जयदयाल जी गोयन्दका सेठजी, गीताप्रेस
गोरखपुर
जय श्री कृष्ण
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