Saturday, 11 March 2017

एक संत क़ी अमूल्य शिक्षा




1.      पुरुष की बायीं आँख ऊपर से फडके तो शुभ होती है, नीचे से फडके तो अशुभ होती है। कान क़ी तरफ वाला आँख का कोना फडके तो अशुभ होता है और नाक क़ी तरफ्वाला आँख का कोना फडके तो शुभ होता है।
2.       यदि ज्वर हो तो छींक नहीं आती। छींक आ जाय तो समझो ज्वर गया! छींक आना बीमारी के जाने का शुभ शकुन है।
3.       शकुन मंगल अथवा अमंगल - 'कारक' नहीं होते, प्रत्युत मंगल अथवा अमंगल - 'सूचक होते हैं।
4.       'पूर्व' क़ी वायु से रोग बढ़ता है। सर्प आदि का विष भी पूर्व क़ी वायु से बढ़ता है। 'पश्चिम' क़ी वायु नीरोग करने वाली होती है। 'पश्चिम' वरुण का स्थान होने से वारूणी का स्थान भी है। विघुत तरंगे, ज्ञान का प्रवाह 'उत्तर' से आता है। 'दक्षिण' में नरकों का स्थान है। 'आग्नेय' क़ी वायु से गीली जमीन जल्दी सूख जाती है; क्योंकि आगनेय क़ी वायु शुष्क होती है। शुष्क वायु नीरोगता लाती है। 'नैऋत्य' राक्षसों का स्थान है। 'ईशान' कालरहित एवं शंकर का स्थान है। शंकर का अर्थ है - कल्याण करने वाला।
5.       बच्चों को तथा बड़ों को भी नजर लग जाती है. नजर किसी-किसी की ही लगती है, सबकी नहीं. कईयों की दृष्टि में जन्मजात दोष होता है और कई जान-बूझकर भी नजर लगा देते हैं. नजर उतरने के लिये ये उपाय हिं- पहला, साबत लालमिर्च और नमक व्यक्ति के सिर पर घुमाकर अग्नि में जला दें. नजर लगी होगी तो गंध नहीं आयेगी. दूसरा, दाहिने हाथ की मध्यमा-अनामिका अँगुलियों की हथेली की तरफ मोड़कर तर्जनी व कनिष्ठा अँगुलियों को परस्पर मिला लें और बालक के सिर से पैर तक झाड दें. ये दो अंगुलियाँ सबकी नहीं मिलती. तीसरा, जिसकी नजर लगी हो, वह उस बालक को थू-थू-थू कर दे, तो भी नजर उतर जाती है.
6.       नया मकान बनाते समय जीवहिंसा होती है; विभिन्न जीव-जंतुओं की स्वतन्त्रता में, उनके आवागमन में तथा रहने में बाधा लगती है, जो बड़ा पाप है. अतः नए मकान की प्रतिष्ठा का भोजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा दोष लगता है.
7.       जहाँ तक हो सके, अपना पहना हुआ वस्त्र दूसरे को नहीं देना चाहिए.
8.        देवी की उपासना करने वाले पुरूष को कभी स्त्री पर क्रोध नहीं करना चाहिए.
9.       कमीज, कुरते आदि में बायाँ भाग (बटन लगाने का फीता आदि) ऊपर नहीं आना चाहिए. हिन्दू-संस्कृति के अनुसार वस्त्र का दायाँ भाग ऊपर आना चाहिए.
10.   मंगल भूमिका पुत्र है; अतः मंगलवार को भूमि नहीं खोदनी चाहिए, अन्यथा अनिष्ट होता है. मंगलवार को वस्त्र नापना, सिलना नहीं चाहिए.
परमश्रद्धेय स्वामी श्रीरामसुखदासजी

No comments:

Post a Comment