Tuesday 30 January 2018

पूजा से जुड़ी हुईं अति महत्वपूर्ण बातें

★ एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए।

★ सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। 

★ बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें। 

★ जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं।

★ जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। 

★ जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।

★ संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं।

★ दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए।

★ यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं। 

★ शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, 

★ कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं। 

★ भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए।

★  देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।

★  किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।

★  एकादशी, अमावस्या, कृृष्ण चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए ।

★ बिना यज्ञोपवित या शिखा बंधन के जो भी कार्य, कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो जाता हैं।

★ शंकर जी को बिल्वपत्र, विष्णु जी को तुलसी, गणेश जी को दूर्वा, लक्ष्मी जी को कमल प्रिय हैं।

★ शंकर जी को शिवरात्रि के सिवाय कुंुकुम नहीं चढ़ती।

★ शिवजी को कुंद, विष्णु जी को धतूरा, देवी जी  को आक तथा मदार और सूर्य भगवानको तगर के फूल नहीं चढ़ावे।

★ अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक बार धोकर चढ़ावंे।

★ नये बिल्व पत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए बिल्व पत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।

★ विष्णु भगवान को चावल गणेश जी  को तुलसी, दुर्गा जी और सूर्य नारायण  को बिल्व पत्र नहीं चढ़ावें।

★ पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे ही चढ़ावें।

★ किंतु बिल्वपत्र उलटा करके डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें। 

★पान की डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें।

★ सड़ा हुआ पान या पुष्प नहीं चढ़ावे।

★ गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चढ़ती हैं।

★ पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी नहीं होता है।

★ दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी नहीं होते हैं।

★ सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न करनी चाहिए।

★ पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही पूजा करें।

★ पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी ओर घंटा, धूप तथा दाहिनी ओर शंख, जलपात्र एवं पूजन सामग्री रखें।

★ घी का दीपक अपने बांयी ओर तथा देवता को दाहिने ओर रखें एवं चांवल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें। 

आप सभी को निवेदन है अगर हो सके तो और लोगों को भी आप इन महत्वपूर्ण बातों से अवगत करा सकते हैं

Saturday 20 January 2018

शकुन

  • घर से ऑफिस के लिए जैसे ही निकला - सामने से एक महिला पानी से भरी बाल्टी ले के आ रही थी - मन में सोचा - कितना अच्छा शकुन है = आज का दिन बहुत अच्छा रहेगा -= ऑफिस आकर - आज " शकुन शास्त्र " पर ही चर्चा
  •  पुरे विश्व में प्राचीन काल से " शकुन - अपशकुन " को माना जाता है = यात्रा के समय इसका विशेष महत्व है
  •  " मुहूर्त चिंतामणि " = " मुहूर्त पारिजात " आदि ग्रंथो में इसकी पूर्ण विवेचना है = " रामायण " - " महाभारत " में भी शकुनो के वारे में लिखा है
  •  पुराने समय में जब भी कोई दूर यात्रा पर जाता था - तो पहले से ये व्यवस्था  कर ली जाती थी - कि जब भी यात्रा करने वाला व्यक्ति घर निकले - एक सुंदर महिला सामने से पानी से भरा हुआ घड़ा ले कर आवे = इससे यात्रा शुभ फलदायक होती थी
  •  " अभिजित मुहूर्त " में सभी दिशाओ की यात्रा शुभ फलदायक होती है
  •  जब आप यात्रा के लिए घर से निकले - अगर सामने से - कोई जल से भरा घड़ा , बाल्टी लावे = दूध , दही से भरा कोई भी पात्र लावे = सब्जी से भरा ठेला आवे = सुंदर वस्त्र धारण किये कोई स्त्री या पुरुष दिखाई दे = तो शुभ शकुन होता है
  •  यात्रा के समय " शवयात्रा " दिखाई दे - तो अवश्य नमन करे - ये एक अत्यंत शुभ शकुन है
  •  यात्रा के समय - प्रेस किये हुए कपड़ो सहित धोबी = बंधा हुआ पशु = पुत्र सहित स्त्री = सफ़ेद फुल - दिखाई देना शुभ शकुन है
  •  एक " वेश्या " की भले ही हमारे समाज में इज्जत न हो - लेकिन यात्रा के समय इसका दिखाई देना उत्तम शुभ शकुन है
  •  यात्रा के लिए निकलते ही अगर कान में = धार्मिक गीतों की ध्वनि या मंदिर के घंटे की ध्वनि = सुनाई दे - तो ये भी एक शुभ शकुन है 

Friday 19 January 2018

Malpua

Ingredients

  • 500ml Milk
  • 3 to 4 tbsp Plain flour
  • 1/2 cup Sugar
  • 1/2 cup Water
  • 300ml Oil for deep frying
  • ½ tsp Cardamom powder
  • few Saffron strands
Method
(1) Boil 500 ml of milk in a heavy bottomed vessel on a low flame. Keep stirring for about 20 to 30 minutes till the milk gets thicker and reduces to 3/4th of its quantity.
(2) In the meantime make sugar syrup by boiling sugar, cardamom and water. You can dissolve a few saffron strands in a small quantity of warm milk and add it in the sugar syrup anytime.
(3) Allow the thickened milk to cool. Add 4 tbsp of plain flour and whisk generously to make a lump-free batter.
(4) Take oil in a flat bottomed frying pan and heat it.
(5) Carefully spread a ladle full of batter in oil to make a small pancake. Fry on medium or low flame. Turn it gently and fry on the other side till it is crisp brown from all sides. [If you find the batter separating out, add very little flour to thicken it and try again. Or if the batter is too thick add some milk. Keep trying with little batter till you are sure that the batter doesn’t separate out when you pour.]
(6) Remove the pancake from oil and dip it in sugar syrup (warm) for a minute and then drain it in a colander.
(7) Repeat the procedure for the rest of the batter.

Thursday 18 January 2018

तिथि अनुसार आहार-विहार

तिथि अनुसार आहार-विहार... ( शास्त्रवचन )

प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।

द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।

तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।

चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।

पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।

षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।

सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है था शरीर का नाश होता है।

अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।

नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।

एकादशी को शिम्बी(सेम), 

द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा 

त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।

(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि, रविवार, श्राद्ध और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।

(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।

(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)

सूर्यास्त के बाद कोई भी तिलयुक्त पदार्थ नहीं खाना चाहिए।

(मनु स्मृतिः 4.75)

लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले को रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए। यह नरक की प्राप्ति कराने वाला है।

(महाभारतः अनु. 104.93)

दूध के साथ नमक, दही, लहसुन, मूली, गुड़, तिल, नींबू, केला, पपीता आदि सभी प्रकार के फल, आइसक्रीम, तुलसी व अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए। यह विरूद्ध आहार है।

दूध पीने के 2 घंटे पहले व बाद के अंतराल तक भोजन न करें। बुखार में दूध पीना साँप के जहर के समान है।

काटकर देर तक रखे हुए फल तथा कच्चे फल जैसे कि आम, अमरूद, पपीता आदि न खायें। फल भोजन के पहले खायें। रात को फल नहीं खाने चाहिए।

एक बार पकाया हुआ भोजन दुबारा गर्म करके खाने से शरीर में गाँठें बनती हैं, जिससे टयूमर की बीमारी हो सकती है।

अभक्ष्य-भक्षण करने (न खाने योग्य खाने) पर उससे उत्पन्न पाप के विनाश के लिए पाँच दिन तक गोमूत्र, गोमय, दूध, दही तथा घी का आहार करो।

(वसिष्ठ स्मृतिः 370)

पर्स

= मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ होगा . .
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= वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा . .
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= मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग के पर्स का प्रयोग करते है तो उत्तम मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे . . .
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= कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को सफ़ेद रंग का पर्स उपयोग करना लाभदायक रहेगा. . .
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= रात्री में सोते समय पर्स कभी भी सिरहाने ना रख कर उसे हमेशा अलमारी में रखें. . .
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= पर्स में कभी भी रुपयों के साथ कोई बिल-रसीद या टिकट ना रखे इससे विवाद बढ़ता है . .
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= प्रत्येक जन्म दिवस पर अपने पर्स में एक नोट (छोटा या बड़ा) पर अपने पिता या माता के हाथों से केसर का तिलक लगा कर पूरे वर्ष के लिए रख दे. अगले जन्म दिवस पर किसी कन्या को दें.पुन:माता या पिता से तिलक करवा कर वर्ष हेतु रख ले . .
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= यदि पर्स कभी फट या कट जाय तुरंत बदल दें. यदि कर्ज का ब्याज देना हो तो वह रूपये पर्स में भूल कर भी ना रखे . रखेगे तो कर्ज कभी नहीं उतरेगा. . .

Tuesday 16 January 2018

क़र्ज़

" क़र्ज़ " = मानव जीवन के लिए अभिशाप = जिस व्यक्ति पर क़र्ज़ है - वो व्यक्ति जिन्दा रहते हुए भी चलती - फिरती लाश के समान है =
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= ध्यान रखे - मंगलवार को कभी क़र्ज़ न ले - और बुधवार को क़र्ज़ न दे =
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= बैंक कर्ज़ एग्रीमेंट पर प्रथम वार मंगलवार को सिग्नेचर ना करे . .  
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= व्यवसाय - मकान बनबाने हेतु क़र्ज़ - जन्मकुंडली की विवेचना करवाने के पश्चात ले =
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= प्रत्येक मंगलवार " ऋण मोचक मंगल स्तोत्र " का पाठ अवश्य करे =
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= प्रतिदिन " श्री सूक्त " का पाठ " स्फटिक श्री यंत्र " के सामने करने से लक्ष्मी का आगमन होता है =
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= अगर आप क़र्ज़ की प्रथम किश्त " शुक्ल पक्ष " के प्रथम मंगलवार से प्रारंभ करते है - तो शीघ्र आप ऋण से मुक्त हो जावेगे =
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= सुबह उठते ही सबसे पहले एक मुट्ठी चावल पंक्षियों को चुगने के लिए डालिए =
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= घर का सारा कबाड़ अमावस्या या शनिवार को घर से बाहर करिए =
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= घर में कभी कोई भी मेहमान या अचानक कोई भी आवे - कुछ न कुछ अवश्य खिलावे - नहीं तो पानी तो अवश्य ही पिलावे =
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= 5 मंगलवार हनुमान जी के मंदिर में 5 - 5 पीस मीठे देशी घी के रोट का भोग लगावे =
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= शराब - मांस - नशे की चीजो से दूर रहे ==
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Monday 15 January 2018

चंद्रमा

चंद्रमा . . मन का कारक होता है . .वृष राशि में यह उच्च होता है एवं वृश्चिक में नीच का . .
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= चंद्रमा स्त्री ग्रह है . . कुंडली में माता का कारक भी होता है . .
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= अगर आपकी कुंडली में " चंद्रमा " लग्न में खराब है तो बुजुर्ग स्त्री की सेवा करनी चाहिए एवं उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए.वट वृक्ष की जड़ को जल से सींचन करना चाहिए. . .
= द्वितीय भाव में खराब होने पर 43 दिनों तक कन्याओं को हरे रंग का कपड़ा देना चाहिए. . .
= तृतीय भाव में चन्द्रमा खराब होने पर गेहूं और गुड़ का दान करना चाहिए. .
= चतुर्थ भाव में चन्द्रमा समान्यत: अशुभ नहीं होता है फिर भी चन्द्र की शुभता के लिए चन्द्र की वस्तु जैसे चावल, दूध, दही, मोती, सफेद वस्त्र घर में रखना चाहिए . .
= चन्द्रमा पंचम भाव में खराब होने पर बुध की वस्तुएं जैसे हरे रंग का कपड़ा, पन्ना घर में नहीं रखना चाहिए इससे परेशानी बढ़ती है. . .
= छठे भाव में चन्द्रमा की शुभता के लिए रात्रि के समय दूध का सेवन नहीं करना चाहिए.दूध से बने पदार्थ का सेवन किया जा सकता है. . .
= सप्तम भाव में चन्द्रमा होने पर इसकी शुभता के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे माता को कष्ट हो .
= अष्टम में बड़ों का आशीर्वाद एवं चरणस्पर्श लाभप्रद होता है. .
= नवम में मंगल की वस्तुएं जैसे लाल वस्त्र, मसूर की दाल, शहद का दान करना चाहिए. . .
= दशम भाव में चन्द्रमा खराब होने पर चन्द्र की वस्तु घर में रखना लाभप्रद होता है . . केले के वृक्ष में जल देने से भी लाभ मिलता है. . .
= एकादश में चन्द्र खराब होने पर बुध की वस्तुएं जैसे मूंग की दाल, हरे रंग का कपड़ा व पन्ना घर में नहीं लाना चाहिए. . .
= द्वादश भाव में चन्द्रमा की उपस्थिति से खराब फल प्राप्त होने पर बड़ों का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए.चांदी के बर्तन में दूध पीने से चन्द्रमा शुभ रहता है. . . .

Thursday 11 January 2018

गर्भ धारण

मंत्रों द्वारा किए गये उपाय सिर्फ़ सात्विक साधु और निर्मल हृदयवालों को ही लाभ देता है ! सामान्य जान के लिए कुछ अटपटे सेपाय होते हैं जो लाभ तो पूरा करते हैं ! पर उस उपाय को करने मेंतार्किक लोग सकुचते हैं ! मैं मेशा उपाय के रूप में विशेष मंत्र हीदेता रहा हूँ लोगों को ! पर यह देखने मे आया की कुछ लोग माँसखाते है और शराब पीते हैं ! माँस खाने वालों पर मेरे ये उपा कामनहीं आए ! माँस और मंत्र दोनों साथ मे नही चल सकता कम से मैं तो यही मानता हूँ ! तो मैं बात कर रहा था उन अटपटे से उपायोंकी जो वास्तव में कारगर होते हैं यदि पूर्ण समर्पण से किए जायें ! आज मैं गर्भ धारण के उपाय बता रहा हूँ ! इसमे उपाय तो इतने हैंकी बन्ध्या स्त्री के भी पुत्र हो जाए पर ज्योतिषी उपाय ही दे सकता हैसमर्पण और तन्मयता नहीं !
यहाँ मैं कुछ बहुत ही महत्वपूर् उपाय बता रहा हूँ पर कुछ उपायजानबूझ कर नही बता रहा हूँ क्योंकि वे यहाँ लिखे ही नही जा  सकते !
1. जिस स्त्री को एक बार भी गर् धारण नही हो रहा है वे बागवानीकरना शुरू कर दें विशेषकर पीले फूलों या फलों के ! जल्द से जल्दबिना किसी मुहूर्त के !
2.इसके साथ ही उपाय के रूप में एक महीने तक पति और पत्नीदोनों भोजन के उपरांत पीली मिठाई अवश् खायें बिना गैप के ! पीला फल भी खा सकते हैं ! DIABTICS कोई अन्य पीली चीज़ खासकते है ! अगले महीने से पति और पत्नी कोई एक पीला वस्त्रअवश्य धारण करें पुर एक महीने तक ! तीसरे और अंतिम महीनेपीली वस्तुओं का जी खोल के दान करिए अपनी सामर्थ्य के अनुसारज़रूरतमंद को गा को पुजारी या ब्राह्मण को !
3.पूर्वफ़ाल्गुनी नक्षत्र में थोड़ा सा आम के पेड़ की जड़ लाकर गायके दूध मे घिसकर स्त्री पिए !
4.तांबे के जंतर में सफेद गूंजा डाल कर गर्भ धारण तक श्रद्धा सेकमर में स्त्री बँधे रहे !
5.पुराना से पुराना गुड़ मिट्टी में दबायें !
6.जन्माष्टमी के दिन से बाल गोपाल की पूजा शुरू करें और संतानगोपाल स्त्रोत का पाठ करें ! पर ध्यान रहे यह उपाय सिर्फ़ शाकाहारीसात्विक लोग ही करें ! बाकी लोग इस मंत्र का उपाय करने से बचें याशाकाहार अपनाने के बाद रें ! संतान से बड़ी कोई पूंजी नही होसकती तो शाकाहार अपनाया जा सकता है !

खुशबु

खुशबु " का परफ्यूम . . . ?
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= कल हमने - मेष . .से . . कन्या राशि . . तक बताया . . आज आगे . . . -
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= तुला राशि = अगर आप तुला राशि के है - तो - " नींबू तथा चन्दन " की खुशबु वाला परफ्यूम आपके कैरियर के लिए उत्तम रहेगा =
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= वृश्चिक राशि = आपके लिए " गुलाब " की खुशबु वाला परफ्यूम आपके जीवन के संघर्ष को बहुत कम कर देगा =
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= धनु राशि = आपके लिए " नींबू " की खुशबु वाला परफ्यूम आपके निकलते हुए पेट पर रोक लगाते हुए आपको स्मार्ट बनायेगा =
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= मकर राशि = आपके लिए " वनिला तथा कस्तुरी " की खुशबु वाला परफ्यूम आपके जीवन में ज्यादा खुशियाँ लेकर आयेगा =
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= कुम्भ राशि = आपके लिए " चंदन " की खुशबु वाला परफ्यूम आपके धन संचय के लिए फायदेमंद रहेगा =
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= मीन राशि = अगर आपकी राशि मीन है - तो - आप किसी भी प्रकार की खुशबु वाला परफ्यूम का प्रयोग कर सकते है - क्योकि आपका राशि स्वामी " गुरु " है - ओर " गुरु " के लिए सभी अच्छे है =
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Saturday 6 January 2018

राहू - केतु

= एक कथा के अनुसार . . समुद्र मंथन से निकले " अमृत " को जब " भगवान् विष्णु " मोहिनी का रूप धरकर देवताओं को पिला रहे थे - तब एक " राहू " नामक राक्षस - देवताओं का रूप धरकर अमृत का पान करने लगा - तो सूर्यदेव और चंद्रदेव ने उसे पहचान कर " भगवान् विष्णु " को इशारा कर दिया - भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहू का मस्तक धड़ से अलग कर दिया - क्योकि राहू अमृत पान कर चुका था - अतः वह अमर हो गया - सर को राहू और धड़ को केतु कहा जाता है . .
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= राहू - केतु . . जन्मकुंडली में हमेशा एक दुसरे के आमने - सामने . रहते है - तथा 180 अंश की रेखीय दूरी पर रहते हुए सूर्य के चक्कर लगाते है . .
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= राहू - केतु . . मान्यता के अनुसार . . कन्या राशि " राहू " की और मीन राशि " केतु " की होती है = एक राशि पर दोनों लगभग डेढ़ वर्ष तक रहते है -
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= जन्मकुंडली में " राहू " की महादशा 18 वर्ष की और " केतु " की महादशा 7 वर्ष की होती है . . .
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= कुछ ज्योतिषियों के अनुसार " राहू " - " वृष " राशि में उच्च का और " वृश्चिक " राशि में नीच का होता है = कुछ के अनुसार " राहू " - " मिथुन " में उच्च का और " धनु " में नीच का होता है -
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= " केतु " - उच्च और नीच - ठीक " राहू " से विपरीत होता है . . .
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= " राहू " से दादा का विचार और " केतु " से नाना का विचार किया जाता है . . .
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= " राहू " - जन्मकुंडली में . . दुःख , दुर्भाग्य , आकस्मिक संकट , साहस , राजनीति , चिंता , विलासिता , अनुसंधान , धोखा , पाप कर्म , छल- कपट, मद्यपान आदि चीजों का अध्ययन किया जाता है - " नेताओं " और " नेतागिरी " का विचार भी " राहू " की स्थिति से किया जाता है . . .
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= " राहू " क्योंकि छाया ग्रह है - अतः यह जिस ग्रह की राशि मे बैठता है - उसी के अनुसार फल देता है . . जैसे " वृष " या " तुला " राशि में बैठने पर " शुक्र " ग्रह के अनुसार फल देगा . .
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= राहु और केतु के कारण ही कालसर्प दोष निर्मित होता है . .
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= राहु का तान्त्रिक मंत्र - ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: . . . 18000 जाप
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= केतु का तान्त्रिक मंत्र- ऊं स्‍त्रां स्‍त्रीं स्‍त्रौं स: केतवे नम: . . 17000 जाप
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Friday 5 January 2018

मोर

= ज्योतिष में " मोरपंख " का बहुत महत्व है . .स्वयम्‌ भगवान कृष्ण ने अपने मुकुट में इसे धारण किया . . " मोरपंख " के प्रयोग से हम अपने जीवन को संवार सकते है . .
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= " मोरपंख " घर के दक्षिण-पूर्व कोण में लगाने से बरकत बढती है. . . व अचानक कष्ट नहीं आता है. .
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= यदि मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधा-कृष्ण कि मूर्ति के मुकुट में 40 दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन मक्खन-मिश्री का भोग सांयकाल को लगाए . . 41 वें दिन उसी मोर के पंख को मंदिर से दक्षिणा-भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लाकर्स में स्थापित करें. . तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि धन,सुख-शान्ति कि वृद्धि हो रही है. सभी रुके कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे है . . .
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= काल-सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है.काल-सर्प वाले व्यक्ति को अपने तकिये के खौल के अंदर 7 मोर के पंख सोमवार रात्रि काल में डालें तथा प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग करे. . . और अपने बैड रूम की पश्चिम दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमे कम से कम 11 मोर के पंख को लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती है. .

= बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की भी हवा बच्चे को लगे धीरे-धीरे हठ व जिद्द कम होती जायेगी. . .

= मोर व सर्प में शत्रुता होती है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है. यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहू का दोष कभी भी नहीं परेशान करता है. तथा घर में सर्प, मच्छर, बिच्छू आदि विषेलें जंतुओं का भय नहीं रहता है . .

Tuesday 2 January 2018

स्वप्न

स्वप्न वास्तवमें हमारी स्मृतियां और कल्पनाए है - जो हमारे मस्तिष्क के किसी न किसी कोने में गुप्त रूप से विद्यमान रहती है =
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= स्वप्न से हमें भविष्य में होने वाली अधिकतम घटनाओ का पूर्व में आभास मिल जाता है =
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= रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे स्वप्न का फल एक वर्ष में - दुसरे प्रहर में देखे स्वप्न का फल 8 माह में - तीसरे प्रहर में देखे स्वप्न का फल तीन माह में और चोथे प्रहर में देखे स्वप्न का फल एक माह में मिलता है =
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= सूर्योदय से कुछ समय पूर्व - ब्रह्मम मुहूर्त में देखे गए स्वप्न का फल तुरंत प्राप्त होता है =
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= अगर आपको स्वप्न में नियमित सर्प दीखते है तो" काल सर्प दोष " की शांति करवा ले = प्रत्येक सोमवार पारद शिवलिंग में कच्चा दूध चढ़ावे =
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= स्वप्न फल के अनुसार अगर पढाई में रुकावट की संभावना हो तो स्कूली बच्चो को कापी - किताब आदि दिलावे - गाय को हरा चारा खिलावे =
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= स्वप्न फल के अनुसार गंभीर शारीरिक संकट या बीमारी आने को हो तो अपने वजन के बराबर " सतनाजा " ( सप्तधान्य ) दान करे =
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= स्वप्न फल के अनुसार अगर आर्थिक संकट की संभावना हो तो मंगलवार - शनिवार कच्चे नारियल को नदी में प्रवाहित करे - अपने वस्त्र जो आप लगातार पहनते है - कुछ पैसो के साथ भिखमंगे को दान कर देवे ==