Thursday 28 December 2017

घोड़े की नाल

= घोड़े की नाल का छल्ला अगर दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुलि में धारण किया जाएँ . . तो ऊपरी हवा . तोने - टोटके से सुरक्षा मिलती ही है . . साथ में बवासीर में भी आराम आता है . .
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= मुख्य द्वार पर सीधा अर्थात u आकर में लगाये तो दैवीय कृपा और घर को सुरक्षा मिलती है . .
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= काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और शनि पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर में चारो पायो में लगा दें . .
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= घोड़े की नाल सवा किलो काली उरद की दाल में रख कर एक नारियल के साथ जल में प्रवाहित करे . इससे आकस्मिक कष्ट से छुटकारा मिलता है . .
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= घोड़े की नाल काले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होती है . .
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Monday 25 December 2017

चन्द्र ग्रह

चन्द्र ग्रह के उपायों की . . लाल किताब के अनुसार . .
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= जन्म कुंडली में खाना संख्या एक में चन्द्रमा के लिए बुजुर्ग स्त्री की सेवा करनी चाहिए एवं उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए. वट वृक्ष की जड़ को जल से सींचन करना चाहिए.
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= खाना नम्बर दो में चन्द्रमा के उपचार हेतु 40 से 43 दिनों तक कन्याओं को हरे रंग का कपड़ा देना चाहिए.
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= खाना नम्बर 3 में चन्द्रमा मंदा होने पर गेहूं और गुड़ का दान करना चाहिए.
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= चतुर्थ भाव में चन्द्रमा समान्यत: अशुभ नहीं होता है फिर भी चन्द्र की शुभता के लिए चन्द्र की वस्तु जैसे चावल, दूध, दही, मोती, सफेद वस्त्र घर में रखना चाहिए .
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= चन्द्रमा खाना नम्बर पाँच में मंदा होने पर बुध की वस्तुएं जैसे हरे रंग का कपड़ा आदि घर में नहीं रखना चाहिए इससे परेशानी बढ़ती है.
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= छठे भाव में चन्द्रमा की शुभता के लिए रात्रि के समय दूध का सेवन नहीं करना चाहिए.दूध से बने पदार्थ का सेवन किया जा सकता है.
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= सप्तम भाव में चन्द्रमा होने पर इसकी शुभता के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे माता को कष्ट हो.
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= अष्टम में बड़ों का आशीर्वाद एवं चरणस्पर्श लाभप्रद होता है.
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= नवम में मंगल की वस्तुएं जैसे लाल वस्त्र, मसूर की दाल, शहद का दान करना चाहिए.
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= खाना नम्बर दस में चन्द्रमा मंदा होने पर चन्द्र की वस्तु घर में रखना लाभप्रद होता है.केले के वृक्ष में जल देने से भी लाभ मिलता है.
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= एकादश में चन्द्र मंदा होने पर बुध की वस्तुएं जैसे साबुत हरे मूंग की दाल, हरे रंग का कपड़ा आदि घर में नहीं लाना चाहिए.
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= द्वादश भाव में चन्द्रमा की उपस्थिति से मंदा फल प्राप्त होने पर बड़ों का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए.चांदी के बर्तन में दूध पीने से चन्द्रमा शुभ रहता है.
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Friday 22 December 2017

अगर आपका नया घर बनने में दिक्कत आ रही है तो

= मंगलवार को मिटटी के बर्तन में हनुमान जी को बूंदी का भोग लगाये , फिर गरीबो को दान कर दे मकान जल्दी बन जयेगा . .बूंदी में २ तुलसी का पत्ता भी जरूर डाले . . .9 मंगलवार अवश्य करे . .
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= .लाल रंग की ध्वजा जिसमे राम लिखा हो मंगलवार को हनुमान जी को चढ़ाए .
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= सुबह शाम हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करे.
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= यदि किसी कारणवश आप अपना मकान नहीं बनवा पा रहे हैं या नया मकान नहीं खरीद पा रहे है, तो नीम की लकड़ी का एक छोटा सा घर बनवाकर किसी गरीब बच्चे को दान कर दें या किसी मंदिर में रख आएं . . ऐसा करने पर शीघ्र ही आपको घर मिलने के योग बनेंगे . . .
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= रोजाना प्रातःकाल स्नान करने के बाद निम्नलिखित मन्त्र का एक बार जाप अवश्य करें. .

“ॐ पद्मावती पद्म कुशी वज्रवज्रांपुशी प्रतिब भवंति भवंति।"
इस उपाय को नियमित रूप से अपनाने से आपकी अचल सम्पत्ति में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही आपको पैतृक सम्पत्ति भी प्राप्त होगी और कुछ ही समय में आपका घर बन जायेगा. . .
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= मान्यता है कि अगर किसी घर में चिड़िया या गिलहरी अपना घोंसला बना ले, तो उस घर में सुख शांति, धन समृद्धि की कोई भी कमी नहीं होगी. इसलिए अगर वो आपके घर में घोंसला बना ले तो उसे हटाना नहीं चाहिए. अगर आप किराए के घर में रहते हैं और वहां चिड़िया घोंसला बना ले, तो यह आपके लिए भी शुभ शकुन है. भविष्य में आपका भी घर बन सकता है. .

Thursday 21 December 2017

मुख्य द्वार

घर के मुख्य द्वार पर मांगलिक चिन्हों जैसे - ऊँ, स्वास्तिक का प्रयोग करना चाहिए . घर में मुख्य द्वार जैसे अन्य द्वार नहीं बनाने चाहिए तथा मुख्य द्वार को फल, पत्र, लता आदि के चित्रों से अलंकृत करना चाहिए . .  मुख्य द्वार पर कभी भी वीभत्स चित्र इत्यादि नहीं लगाने चाहिए . .
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= बैठक कक्ष या ड्राइंग रूम : इस कक्ष में फर्नीचर, शो केस तथा अन्य भारी वस्तुएं दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य में रखनी चाहिए .  इस कक्ष में यदि कृत्रिम पानी का फव्वारा या अक्वेरियम रखना हो तो उसे उत्तर-पूर्व कोण में रखना चाहिए . . टीवी दक्षिण-पश्चिम या अग्नि कोण में रखा जा सकता है . . बैठक में ही मृत पूर्वजों के चित्र दक्षिण या पश्चिमी दीवार पर लगाना चाहिए . . इस कक्ष की दीवारों का हल्का नीला, आसमानी, पीला, क्रीम या हरे रंग का होना उत्तम होता है . . 
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= शयन कक्ष : शयन कक्ष में कभी भी देवी-देवताओं या पूर्वजों के चित्र नहीं लगाने चाहिए . . इस कक्ष में पलंग दक्षिणी दीवारों से सटा होना चाहिए .  सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में होना चाहिए .  शयन कक्ष में सोते समय पैर दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए . शयन कक्ष में दर्पण नहीं होना चाहिए, इससे परस्पर कलह होता है . . इस कक्ष की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए . . 
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= रसोईघर : रसोई गृह में भोजन बनाते समय गृहिणी का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए .  बरतन, मसाले, राशन इत्यादि पश्चिम दिशा में रखने चाहिए . .बिजली के उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखने चाहिए .  जूठे बरतन तथा चूल्हे की स्लैब अलग होनी चाहिए। रसोईघर में दवाइयां नहीं रखनी चाहिए . .  रसोईघर में काले रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए . . यह हरा, पीला,क्रीम या गुलाबी रंग का हो सकता है . . 
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= पूजाघर : घर में पूजा घर या पूजा का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए .  पूजा घर में मूर्तियां या फोटो इस तरह से रखनी चाहिए कि वे आमने-सामने न हों . . मूर्तियां बार अंगुल से अधिक ऊंची नहीं रखना चाहिए . . पूजा गृह शयन कक्ष में नहीं होना चाहिए .  यदि शयनकक्ष में पूजा का स्थान बनाना मजबूरी हो तो वहां पर्दे की व्यवस्था करनी चाहिए . .  पूजा गृह हेतु सफेद, हल्का पीला अथवा हल्का गुलाबी रंग शुभ होता है . . 
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= स्नानगृह तथा शौचालय : स्नानगृह की आंतरिक व्यवस्था में नल को पूर्व या उत्तर की दीवार पर लगाना चाहिए जिससे स्नान के समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में हो .  स्नान घर में वॉश बेसिन ईशान या पूर्व में रखना चाहिए . . गीजर, स्विच बोर्ड आदि अग्नि कोण में होना चाहिए . . बाथटब इस प्रकार हो कि नहाते समय पैर दक्षिण दिशा में न हों .  बाथरूम की दिवारों या टाइल्स का रंग हल्का नीला, आसमानी, सफेद या गुलाबी होना चाहिए . . शौचालय में व्यवस्था इस प्रकार हो कि शौच में बैठते समय मुख दक्षिण या पश्चिम में हो . .
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Wednesday 20 December 2017

दान

 कौन से " दान " से . . क्या प्राप्ति . . ? . .
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= अगर आप " जल " का दान करते है - तो आपको " तृप्ति " मिलेंगी . .
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= अगर आप " अन्न " का दान करते है - तो आपको " अक्षय सुख " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " तिल " का दान करते है - तो आपको उत्तम " संतान " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " दीप " का दान करते है - तो आपको " उत्तम नेत्र " का सुख मिलेगा . .
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= अगर आप " भूमि " का दान करते है - तो आपको समस्त " अभिलाषित पदार्थ " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " घर " का दान करते है - तो आपको " उत्तम घर " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " चांदी " का दान करते है - तो आपको " उत्तम सौन्दर्य " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " स्वर्ण " का दान करते है - तो आपको " दीर्घ आयु " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " दवाई " का दान करते है - तो आपको " आरोग्यता " की प्राप्ति होगी . .
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= अगर आप " परलोक " में अक्षय सुख प्राप्त करना चाहते है - तो आपको अपनी सबसे प्रिय वस्तु का दान करना पडेगा . .
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Sunday 17 December 2017

पुजा - पाठ के नियम

 
= पुजा घर ईशान कोण मे हो पुजा करने वाले का मुख उत्तर या पुर्व दिशा मे हो . .
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= शयनकक्ष मे पुजा घर न हो, अगर स्थानाभाव हो तो पुजा घर मे पर्दा लगा ले . . 
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= पुजा घर के आस पास या उपर- नीचे शौचालय न बनाये . घर की सीढीयो के नीचे पुजा घर न हो . . 
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= पुजा घर मे 1 से 12 अंगुल तक की मुर्ति का पूजन करे . . 
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= बाहरी व्यक्ति को मुर्ति के पास नही जाने देना चाहीये। इससे मुर्ति की उर्जा समाप्त होती है . . 
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= किसी भी देवी या देवता की मुर्ति दिवार से थोडी हटाकर रखनी चाहिये . . 
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= गणेश जी के दाहिने और विष्णु जी के बायें लक्ष्मी जी का स्थापना करनी चाहीये . . 
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= धन ऐश्वर्य और शत्रु नाश के लिये चांदी के गणेश लक्ष्मी की स्थापना करनी चाहीये . . 
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= पुजा के समय जलाये जानावाला दीपक यदि भूमी पर रखना हो तो उसके नीचे चावल अवश्य रखे .  वर्ना घर मे चोरी हो सकती है . 
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= पुजा घर की दिवारो का रंग पीले या सफ़ेद रंग का हो . . 
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= पुजा घर के अग्निकोण मे दीप अवश्य जलाना चाहीये . .हवनकुण्ड और अगरबत्ती भी अग्निकोण मे रखे .  
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= देवताओ को '' तांबा '' धातु प्रिय है अत: पुजन मे तांबे की धातु के बर्तनो का ही प्रयोग करे . . 
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= विष्णु मंदिर की 4 बार .  शिव जी की आधी . .देवी की 1 .  सुर्य की 7 और गणेश जी की 3 परिक्रमा करनी चाहीये . . 
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= उग्र और तामसी शक्तियो कि मुर्ति का मुख दक्षिण दिशा या दक्षिण पश्चिम  मे हो . . 
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= शिवलिंग पर चढे फ़ल,फ़ुल, नैवेद्य आदि का उपयोग न करे, उसे विसर्जित कर दे . . 
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= प्रत्येक गृहस्थ को घर मे तुलसी का पौधा अवश्य रखना चाहीये . .सांयकाल मे तुलसी के नीचे दिप जलाकर 5 बार परिक्रमा करनी चाहीये . . 
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= घर मे मुख्य रुप से 1 ही पुजा घर हो .  छोटे छोटे कई पुजाघर हो तो इससे घर के सदस्य अशान्त रहते है . . 
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Saturday 16 December 2017

शंख

" शंख " . . समुन्द्र मंथन से निकले चौदह नवरत्नों में से एक रत्न . . क्योंकि शंख . . माँ लक्ष्मी के साथ ही निकला था . . अतः शंख को माँ लक्ष्मी का भ्राता { भाई } कहा जाता है . .
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= शंख . . अनेको प्रकार के होते है . . लेकिन मुख्य है . . वामवर्ती शंख . . दक्षिणावर्ती शंख . . मोती शंख . . गणेश शंख . . टाइगर शंख . . विष्णु शंख . . अन्नपूर्णा शंख आदि . .
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= वामवर्ती शंख . . ये शंख आरती . . मांगलिक कार्यों में बजाने के काम आता है . . इसको बजाने से वायु मंडल के वो सूक्ष्म विषाणु नष्ट हो जाते है - जो मानव जाति के लिए घातक होते है . . इसको बजाने से अगर आपकी आवाज़ में हकलाहट है - तो वह भी दूर हो ज़ाती है - सर्दी - जुकाम तो बिना दवाई के ही दूर हो जाती है . .
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= दक्षिणावर्ती शंख . . जिस घर में ये शंख है . . उस घर में माँ लक्ष्मी का स्थाई वास रहता है . . . दरिद्रता कोसों दूर रहती है . . इसमे जल भरकर " श्री सूक्त " का पाठ करके उस जल को दुकान - आफिस मेंछिड़कने से ब्यापार में बढ़ोतरी होती है = तथा इससे घर की नकारात्मक उर्जा समाप्त होती है = तथा इसमे जल भरकर निम्न मन्त्र का जप करके इस जल को पीने से - हृदय और श्वाससंबधित रोगों से मुक्ति मिलती है --- "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः " . .
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= मोती शंख . . यह शंख मोती के समान सफ़ेद और चमकदार होता है . . यह ज्यादातर कैलाश मानसरोवर में पाया जाता है . . इस शंख में गंगाजल रखने के चार घंटे बाद पिया जाए तो ह्रदय रोगों से मुक्ति मिलती है . .

घर में जरूर लगाएं . इन 5 पौधों को

घर में जरूर लगाएं . इन 5 पौधों को . . पाइये गाड़ी, बंगला और बैंक बैलेंस . . .
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= तुलसी का पौधा . . यह पौधा सभी प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा को नष्‍ट कर देता है . कोई बुरी आत्‍मा आपके घर में प्रवेश नहीं कर सकती . . तुलसी कअअ पौधा न केवल धार्मिक महत्‍व रखता है, बल्कि इसके कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी हैं . .इससे सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा हमारे घर पर बनी रहती है . .  
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= मीठा नीम या कड़ी पत्‍ता . . यह पौधा सहज और सरल रूप से आपको कहीं भी मिल जाता है . ,. इसको लगाने से घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार बना रहता है . . इसको लगाने से शनि, राहु और केतु तीनों प्रसन्‍न रहते हैं . . 
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= आंवले का पौधा . . आंवले के पौधे को लगाने से मां लक्ष्‍मी स्‍वयं आपके घर में हमेशा के लिए वास करेंगी . . क्‍योंकि आंवले में भगवान कृष्‍ण और विष्‍णु का वास होता है . .  इसको आप जमीन या गमले में लगा सकते हैं . . यदि ये दोनों ही संभव न हो तो आप घर में इसका चित्र लगाकर भी ये लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं . . 
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= हरसिंगार या पारिजात वृक्ष . . पारिजात की उत्‍पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी .  समुद्र मंथन के 14 रत्‍नों में से 11वां रत्‍न पारिजात वृक्ष का था . . इसको छूने मात्र से सारी थकान मिट जाती है .  यह वृक्ष देवताओं को सबसे ज्‍यादा प्रिय होता है। इसलिए जिसके घर में यह पेड़ होगा . . वहां कभी भी दरिद्रता नहीं आती . इसके छोटे-छोटे सुगंधित पुष्‍पों से सारा वातावरण सुगंधित रहता है .  
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= शमी का पौधा . . इसे ऐसे स्थान पर लगाना चाहिए जो घर से निकलते समय दाहिनी ओर पड़ता हो . . शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में शनि का प्रकोप कम होता है .  आपके कामों में आने वाली रुकावट दूर होगी। शमी को गणेश जी का प्रिय वृक्ष माना जाता है . . इसलिए भगवान गणेश की आराधना में शमी के वृक्ष की पत्तियों को अर्पित किया जाता है . .
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Saturday 9 December 2017

पर्स


= मेष,सिंह, और धनु राशि वाले अपना पर्स लाल या नारंगी रंग का रखे. तो लाभ होगा . .
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= वृष,कन्या, और मकर राशि वालों को भूरे रंग का पर्स तथा मटमैले रंग का पर्स बहुत फायदा पंहुचायगा . .
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= मिथुन,तुला, और कुम्भ राशि वाले यदि नीले रंग के पर्स का प्रयोग करते है तो उत्तम मानसिक स्थति के साथ साथ धन के के आगमन के रास्ते भी खुलेंगे . . .
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= कर्क,वृश्चिक, और मीन राशि को सफ़ेद रंग का पर्स उपयोग करना लाभदायक रहेगा. . .
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= रात्री में सोते समय पर्स कभी भी सिरहाने ना रख कर उसे हमेशा अलमारी में रखें. . .
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= पर्स में कभी भी रुपयों के साथ कोई बिल-रसीद या टिकट ना रखे इससे विवाद बढ़ता है . .
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= प्रत्येक जन्म दिवस पर अपने पर्स में एक नोट (छोटा या बड़ा) पर अपने पिता या माता के हाथों से केसर का तिलक लगा कर पूरे वर्ष के लिए रख दे. अगले जन्म दिवस पर किसी कन्या को दें.पुन:माता या पिता से तिलक करवा कर वर्ष हेतु रख ले . .
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= यदि पर्स कभी फट या कट जाय तुरंत बदल दें. यदि कर्ज का ब्याज देना हो तो वह रूपये पर्स में भूल कर भी ना रखे . रखेगे तो कर्ज कभी नहीं उतरेगा. . .

धन

" धन " . सबसे ज्यादा . . . लोगो को . . . इसी की जरुरत रहती है . . .
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= " धन " को प्राप्त करने के लिए जरुरत है - " माँ लक्ष्मी " को प्रसन्न करने की . . . .
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= " स्फटिक श्री यंत्र " . .. "श्री " का अर्थ है - धन . . और " यंत्र " का अर्थ है - " साधन " . . . धन प्राप्त करने का साधन . . . " श्री यंत्र " . . .
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= " श्री यंत्र " में मनुष्य के जीवन की सभी नकारात्मक परिस्थितियों को समाप्त कर उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति होती है . . .
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= " श्री यंत्र " . . जब ब्यक्ति " तनाव " की चरम सीमा पर पहुँच जाये . . व्यापार में हमेशा घाटा हो . . . आर्थिक परेशानियों से मुक्ति न मिले . . चारो तरफ से भविष्य अंधकारमय लगे . . ऐसे ब्यक्तियो को " स्फटिक श्री यंत्र " की हमेशा पूजा करनी चाहिए . . . .
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= " श्री यंत्र " . . एक उत्त्प्रेरक के रूप में . . उर्जा के कंडक्टर के रूप में काम करता है . . .
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= " श्री यंत्र " . . शुक्रवार के दिन घर या ऑफिस में स्थापित करना चाहिए . . .
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= " श्री यंत्र " . . को शुभ मुहूर्त में साफ़ पानी से धो कर . . पंचामृत से स्नान करवाकर . . गंगाजल से स्नान करवाकर पूजा स्थल पर पीले कपडे में रखना चाहिए . . तत्पश्चात कच्ची हल्दी . . फुल चढ़ाना चाहिए . . अष्टगंध का टीका लगाकर . . शुद्ध घी का दीपक जलाकर . . अगरबत्ती जलाकर . . " श्री सूक्त " का पाठ करना चाहिए . . .
= प्रत्येक " शुक्रवार " . . नियमित रूप से " श्री यंत्र " की पूजा करे . . देखिये . . आपके घर में " धन " की बढ़ोतरी कैसे होती है . . .
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= " श्री यंत्र " . . उचित दूकान से . . प्राण प्रतिष्ठित . . . प्योर स्फटिक . . का ही खरीदना चाहिए . . . आज कल इसमें डुप्लीकेट बहुत आ रहे है . . अतः सही स्थान से ही ख़रीदे . .
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= " श्री यंत्र " . . स्थापना का मुहूर्त . . और इसकी पूजा विधि . . मंत्र . . अपनी जन्मकुंडली के अनुसार . . जिससे " श्री यंत्र " ख़रीदे . .अवश्य मालुम कर ले . . .
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= तो आप तैयार है . .. न . . . " माँ लक्ष्मी " को अपने घर बुलाने के लिए . . . .

Friday 1 December 2017

जन्म तारीख के अनुसार क्या करे

= अगर आपका जन्म 1 . 10 . 19 या 28 को हुआ है . तो आपका मूलांक 1 होता है . . हर रविवार कुछ मीठा अवश्य खाना चाहिए . . ‘ॐ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करे . . माणिक्य धारण करे . .
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= अगर आपका जन्म 2 . 11 . 20 या 29 को हुआ है . तो आपका मूलांक 2 होता है . .सोमवार व्रत करे . . शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ावे . .
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= अगर आपका जन्म 3 . 12 . 21 या 30 को हुआ है . तो आपका मूलांक 3 होता है . . हर बृहस्पतिवार को पीले रंग के वस्त्र अवश्य धारण करें . .धन की कमी दूर होगी . . भगवान विष्णु की पुजा करे . .
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= अगर आपका जन्म 4 . 13 . 22 या 31 को हुआ है . तो आपका मूलांक 4 होता है . . भगवान गणेश की पूजा प्रतिदिन करे . . मनोकामना पुरी होगी . .
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= अगर आपका जन्म 5 . 14 या 23 को हुआ है . तो आपका मूलांक 5 होता है . .पन्ना रत्न धारण करे . . हर बुधवार गाय को हरी घास खिलाएं . .
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= अगर आपका जन्म 6 . 15 या 24 को हुआ है . तो आपका मूलांक 6 होता है . हर शुक्रवार कुछ मीठा अवश्य खाना चाहिए . . इत्र . . सेंट का प्रयोग करे . .
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= अगर आपका जन्म 7 . 16 या 25 को हुआ है . तो आपका मूलांक 7 होता है . . आपको प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलानी चाहिए . . तथा शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें . .
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= अगर आपका जन्म 8 . 17 या 26 को हुआ है . तो आपका मूलांक 8 होता है . .आपको हर शनिवार पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाना चाहिए एवं शनि देव के समक्ष तिल तेल का दीया जलाना चाहिए . .
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= अगर आपका जन्म 9 . 18 या 27 को हुआ है . तो आपका मूलांक 9 होता है . रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करे . . हनुमान जी की पुजा करे . .
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Wednesday 29 November 2017

कौन सा ग्रह खराब है

= आपकी समस्या और आपकी बुरी आदतें बताती हैं . . कि आपका कौन सा ग्रह खराब है . . 
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= सामाजिक अपयश, पिता के साथ कलह या वैचारिक मतभेद, आंख, हृदय का कोई रोग होना . आत्मा को दुःख होना . . .  जीवन में असंतुष्ट रहना और मुंह में बार-बार बलगम का इकट्ठा होना . .अर्थात आपका सूर्य पीड़ित है . . 
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= मन अत्याधिक चंचल हो .. हर समय मानसिक तनाव और कोई चिंता रहती है . .जुकाम हर समय बना रहे . पालतू दुधारू पशु की मृत्यु हो जाना, माता को कष्ट होना, मन में बार-बार आत्महत्या करने के विचारों का जन्म लेना . अर्थात आपका चंद्रमा पीड़ित है . . 
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= कोई ना कोई दुर्घटना होना, घर के बिजली के समान जल्दी खराब हो जाना, विशेषकर जिस कमरे में व्यक्ति रहता है वहां मौजूद बिजली के उपकरणों का कम समय में ही खराब हो जाना, रक्त विकार .  भाई से विवाद और अत्याधिक क्रोध जैसी स्थिति जन्म लेती है . .अर्थात आपका मंगल पीड़ित है . .
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= व्यापार और स्वास्थ्य का खराब होना . दांत का हमेशा कमजोर रहना .   सूंघने की शक्ति कम हो जाना . . और एक समय के बाद उसे गुप्त रोग होने की संभावना होना . . अर्थात आपका बुध पीड़ित है . .
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= अगर किसी विद्यार्थी को पढ़ाई में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, किसी के असमय बाल झड़ने शुरू हो गए हैं, अपमान का शिकार होना पड़ रहा है, व्यापार की स्थिति बदतर होती जा रही है, घर में कलह का माहौल बन गया है . .अर्थात आपका गुरु पीड़ित है . .
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= मन में भटकाव . .  अपने हाथ से धन का नाश .  .  चर्म रोग और स्वप्न दोष  . . उत्तम वाहन लेने में अवरोध . . अर्थात आपका शुक्र पीड़ित है . . 
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= मकान का कोई हिस्सा गिर गया है या टूट गया है . . वाहन से दुर्घटना या धड़ के निचले हिस्से . विशेषकर जांघों के हिस्से में परेशानी  . . कमर दर्द  . . अर्थात आपका शनि पीड़ित है . .
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= शक संदेह करना . . मानसिक परेशानियां . . आपसी तालमेल में रुकावट, बात-बात पर क्रोधित हो जाना .  गुस्से एवं अपशब्द या गाली-गलौज करना . . हाथ के नाखून टूटने लगना .दिमागी संतुलन बिगड़ जाना .पेट से संबंधित परेशानियां . .अर्थात आपका राहु पीड़ित है . .
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= आर्थिक नुकसान के साथ-साथ चर्म रोग भी होना .  खुद अपने लिए ही गलत धारण बना लेना . . अर्थात आपका केतु पीड़ित है . .
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= करिये अपने पीड़ित ग्रहो का इलाज़  . .

Wednesday 1 November 2017

मंगल ग्रह

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= ज्योतिष में मंगल को सेनापति का दर्जा दिया गया है . .मंगल को भुमिपुत्र भी कहा जाता है . .

= मंगल ग्रह के अराध्य देव हनुमान जी है . . और इसका रत्न मूंगा है . .
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= मंगल मकर राशि में उच्च का और कर्क राशि में नीच का होता है . .
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= अगर आपकी कुण्डली में मंगल 1 . . 4 . . 7 . . 8 और 12 वे घर में बैठा है . . तो आप माँगलिक है . .
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= अगर आपकी कुण्डली में मंगल नीच का या खराब स्थिति में है. . तो . .मुफ्त में किसी से कुछ न ले . .
= मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को कुछ न कुछ खाने के लिए दे . .
= हनुमान चालीसा का पाठ करे . . " ऊँ भौ भौमाय नम:" मंत्र की एक माला जाप लाल चंदन की माला से करे . .
= भाई से सम्बन्ध अच्छे रखे . .
= मंगल की वस्तुओं का दान अर्थात सभी लाल रंग की वस्तुएं, गुड्, लाल फूल, गेहूं, लाल मसूर की दाल का दान अवश्य करे . .
= मंगल यंत्र तांबे में बनबा कर शुभ मुहूर्त में धारण करे . .
= नारियल में सिदुर का तिलक लगाकर 7 मंगलवार नदी में प्रवाहित करे . .
= मंगलवार को भूमि पर शयन करे . . झूठ बोलने से बचे . .
= मेहमानों और " एस्ट्रो रजनीश अग्रवाल " को उत्तम किस्म की मिठाई जरूर खिलावे . .

शंख

शंख " की ध्वनि . .
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= " शंख " . . . हमारे प्यारे " भारत " में पूजा और सभी प्रकार के अनुष्ठानो में शंखनाद करना अनिवार्य है . . . आज चर्चा . . इसी पर . . .
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= " शंखनाद " . . चाहे सत्यनारायण भगवान् की कथा हो या दीपावली का पूजन . . . यहाँ तक की . . बंगाल , असाम और उड़ीसा में तो विवाह संस्कार में भी " शंख - नाद " करना अनिवार्य है . . .
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= अगर वैदिक मान्यताओं की बात की जाये - तो - " शंख " को बजाना - विजय का प्रतीक है . . .
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= " शंख - नाद " करने से " प्राणायाम " के लाभ भी मिलते है . . . .
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= अगर वैज्ञानिकों की बात की जाये - तो - उनके अनुसार भी - " शंख - नाद " से वायु मंडल के वो सूक्ष्म विषाणु नष्ट हो जाते है - जो मानव जाति के लिए घातक होते है . . .
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= " शंख - नाद " करने से अगर आपकी आवाज़ में हकलाहट है - तो वह भी दूर हो ज़ाती है - सर्दी - जुकाम तो बिना दवाई के ही दूर हो जाती है . . .
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= " शंख - नाद " करने से आँखें दूर - दूर तक देखने लग जाती है - तथा अगर आपका दिल उदास रहता है - तो शंख - नाद आपके दिल में नया जोश भी भरता है . . .
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= " शंख - नाद " अगर प्रातः काल किया जाये - तो पुरे शरीर में सकारात्मक तरंगो का प्रवाह होता है - अगर " शंख - नाद " शाम को किया जाये - तो - दिन भर की थकान - पूर्णतया गायब हो जाती है . .
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= " शंख - नाद " = 15 वर्ष के ऊपर के लोगो को ही करना चाहिए - तथा " श्वांस - दमा - अस्थमा - ह्रदय रोगियों को शंख बजाना वर्जित है . . .
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= पूजा स्थल पर कभी दो शंख न रखे - शंख को कभी भूमि पर नहीं रखना चाहिए . . .
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Saturday 28 October 2017

प्रणाम रहस्य



*Զधे Զधे*
प्रणाम करते समय भगवान के दाहिने हाथ के सामने आपका मस्तक हो और प्रणाम हमेशा दाहिने तरफ से करें... बायें तरफ से किया प्रणाम पुर्वकृत पुण्यों का नाश करता हैं।
प्रभु जी को अष्टांग प्रणाम, और माताजी को पंचांग प्रणाम करते समय भगवान् को अपने वामअंग रख कर करना चाहिए।
एक हाथ से किया प्रणाम/एक हाथ से ली गई आरती... पुर्व पुण्यों का नाश करती हैं। ये सब आचार संहिताओं में दिया है। 
आजकल योग्य आचार्यों की कमी से यह सब गलतियां लोग कर रहे... एक दुसरे की देखा-देखी। 
और अगर कोई स्त्री पंचांग प्रणाम (घुटनों के बल) की जगह साष्टांग प्रणाम करते दिखे तो उसे रोकना अन्य माताओं का कर्तव्य है।
क्योंकि स्त्रियों के स्तनों में मातृत्व के कारण, माताओं के स्तनों का साष्टांग प्रणाम में धरती का स्पर्श धरती माता झेल नहीं सकती और रसातल की ओर जाती है।
ऐसी माताओं को साष्टांग प्रणाम से कोई लाभ नहीं... बल्कि पृथ्वी को रसातल की ओर ले जाने का महापाप जरूर लगता है।
और देख कर भी चुप रहने वालों को भी दोष लगता है। इसलिए लोगों की गलतियों को एकल बार जरूर बतायें...!
गलत प्रणाम से कुष्ठ रोग होता है !!!
१.मंदिर में ठाकुर को अपने बाये रखकर प्रणाम करना चाहिए
२. हमेशा पंचांग प्रणाम करना चाहिए
३. पूरा लेट कर प्रणाम करना हो तो कमर से ऊपर के वस्त्र पूरे उतार देने चाहिए
यहाँ अंक और अति महवपूर्ण बात स्पष्ट करनी है कि प्राय देखा जाता है कि साधक ठाकुर जी के सामने बनियान, कुर्ता, स्वेटर आदि अनेक कपडे पहने हुय, यहाँ तक की चादर, लोई ओर्ढ़े हुय ही लेटकर दंडवत परणाम कर देते है । यह भारी अपराध है, कटी के उपर शरीर के कोई न\भी वस्त्र पहनकर दंडवत करने से जो महापाप लगता है उस विषय में शास्त्र का वचन है-उतरीय वस्त्र पहने जो व्यक्ति दंडवत प्रणाम करता है वह सात जन्म तक श्वेतकुष्ठी और मुर्ख होता है
वस्त्रप्रावृतदेहस्तु यो नरः प्रणमेत माम् ।
श्वित्री स जायते मूर्खः सप्तजन्मनि भामिनि ! ॥”

४. महिला क्योंकि ऊपर के वस्त्र नहीं उतार सकती इसलिए महिला द्वारा लेटकर प्रणाम नहीं करना चाहिए
५. पुरे वस्त्र पहन कर जो पूरा लेटकर प्रणाम करता है ▶️ उसे सात जन्म तक कुष्ठ रोगी होना पड़ता है
वराह पूराण में ऐसा लिखा है-
वस्त्र आवृत देहस्तु यो नरः प्रनमेत मम
श्वित्री सा जयते मूर्ख सप्त जन्मनी भामिनी

६. गुरुदेव को सामने से
७. नदी को एवं सवारी को उधर से प्रणाम करना चाहिए, जिधर से वह आ रही हो
८. मंदिर के पीछे
९. भोजन करते समय
१०. शयन के समय - ठाकुर, गुरु, संत, वरिष्ठ या किसी को भी प्रणाम नहीं करना चाहिए|
 श्री हरिभक्ति विलास ग्रन्थ से संकलित
आचारहीनों को वेद भी पवित्र नही कर सकते।
       *जय गौर हरि*

मान सम्मान प्राप्ति के उपाय

1.मान-सम्मान, प्रतिष्ठा व लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किए जाने वाली पूजा,उपाय / टोटकों के लिए पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है। 

2.गुरु ग्रह को सौभाग्य, सम्मान और समृद्धि नियत करने वाला माना गया है।शास्त्रों में यश व सफलता के इच्छुक हर इंसान के लिये गुरु ग्रह दोष शांति का एक बहुत ही सरल उपाय बताया गया है।यह उपाय औषधीय स्नान के रूप में प्रसिद्ध है इसे हर इंसान दिन की शुरुआत में नहाते वक्त कर सकता है। नहाते वक्त नीचे लिखी चीजों में से थोड़ी मात्रा में कोई भी एक चीज जल में डालकर नहाने से गुरु दोष शांति होती है और व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है । - 

गुड़, सोने की कोई वस्तु ,हल्दी, शहद, शक्कर, नमक, मुलेठी, पीले फूल, सरसों। 

3.समाज में उचित मान सम्मान प्राप्ति के लिए रात में सोते समय सिरहाने ताम्बे के बर्तन में जल भर कर उसमें थोड़ा शहद के साथ कोई भी सोने /चाँदी का सिक्का या अंगूठी रख लें फिर सुबह उठकर प्रभु का स्मरण करने के बाद सबसे पहले बिना कुल्ला किये उस जल को पी लें ...जल्दी ही आपकी यश ,कीर्ति बड़ने लगेगी । 

4.रात को सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख लें, सुबह वह पानी घर के बाहर डाल दें इससे रोग, वाद-विवाद, बेइज्जती, मिथ्या लांछन आदि से सदैव बचाव होता रहेगा । 

5.दुर्गा सप्तशती के द्वादश (12 वें ) अध्याय के नियमित पाठ करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान और मनवांछित लाभ की प्राप्ति होती है । 

6.समाज में मान सम्मान की प्राप्ति के लिये कबूतरों/चिड़ियों को चावल-बाजरा मिश्रित कर के डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें। 

7.अपने बच्चे के दूध का प्रथम दाँत संभाल कर रखे, इसे चाँदी के यंत्र में रखकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करने से व्यक्ति को समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है। 

8.यदि आप चाहते हैं कि आपके कार्यों की सर्वत्र सराहना हो, लोग आपका सम्मान करें, आपकी यश कीर्ति बड़े तो रात को सोने से पूर्व अपने सिरहाने तांबे के बर्तन में जल भरकर रखें और प्रात:काल इस जल को अपने ऊपर से सात बार उसार करके किसी भी कांटे वाले पेड़ की जड़ में डाल दें। ऐसा नियमित 40 दिन तक करने से आपको अवश्य ही लाभ मिलेगा। 

9.ज्येष्ठा नक्षत्र में जामुन के वृक्ष की जड़ लाकर अपने पास संभल कर रखने से उस व्यक्ति को समाज से / प्रसाशन से अवश्य ही मान सम्मान की प्राप्ति होती है । 

10.गले, हाथ या पैर में काले डोरे को पहनने से व्यक्ति को समाज में सरलता से मान सम्मान की प्राप्ति होती है, उसे हर क्षेत्र में विजय मिलती है। 

11.शास्त्रों में लिखा गया है कि - 

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:। 

चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।। 

इसका सरल शब्दों में मतलब है कि जो व्यक्ति हर रोज अपने बड़े-बुजुर्गों के सम्मान में प्रणाम व चरणस्पर्श कर उनकी सेवा करता है। उसकी उम्र, विद्या,ज्ञान यश और शक्ति लगातार बढ़ती जाती है।

पवित्र शंख के जानिए बारह चमत्कारिक रहस्य


क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? भूत-प्रेत और राक्षस भगा सकता है? क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है। शंख की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।

शिव को छोड़कर सभी देवताओं पर शंख से जल अर्पित किया जा सकता है। शिव ने शंखचूड़ नामक दैत्य का वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है।

शंख के नाम से कई बातें विख्यात है जैसे योग में शंख प्रक्षालन और शंख मुद्रा होती है, तो आयुर्वेद में शंख पुष्पी और शंख भस्म का प्रयोग किया जाता है। प्राचीनकाल में शंक लिपि भी हुआ करती थी। विज्ञान के अनुसार शंख समुद्र में पाए जाने वाले एक प्रकार के घोंघे का खोल है जिसे वह अपनी सुरक्षा के लिए बनाता है।

शंख से वास्तुदोष ही दूर नहीं होता इससे आरोग्य वृद्धि, आयुष्य प्राप्ति, लक्ष्मी प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति, पितृ-दोष शांति, विवाह आदि की रुकावट भी दूर होती है। इसके अलावा शंख कई चमत्कारिक लाभ के लिए भी जाना जाता है। उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में पाये जाते हैं। 

त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृत: करे।
नमित: सर्वदेवैश्य पाञ्चजन्य नमो स्तुते।।

वर्तमान समय में शंख का प्रयोग प्राय: पूजा-पाठ में किया जाता है। अत: पूजारंभ में शंखमुद्रा से शंख की प्रार्थना की जाती है। शंख को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया माना गया है। शंख कई प्रकार के होते हैं। शंख के चमत्का‍रों और रहस्य के बारे में पुराणों में विस्तार से लिखा गया है। आओ जानते हैं शंख और शंख ध्वनि के बारह रहस्य..

पहला रहस्य- शंख के प्रकार : शंख के प्रमुख 3 प्रकार होते हैं:- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। इन शंखों के कई उप प्रकार होते हैं। शंखों की शक्ति का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। यह प्रकार इस तरह भी है- वामावर्ती, दक्षिणावर्ती तथा गणेश शंख।

शंख के अन्य प्रकार : लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख, गोमुखी शंख, पांचजन्य शंख, अन्नपूर्णा शंख, मोती शंख, हीरा शंख, शेर शंख आदि प्रकार के होते हैं।
 
द्विधासदक्षिणावर्तिर्वामावत्तिर्स्तुभेदत:
दक्षिणावर्तशंकरवस्तु पुण्ययोगादवाप्यते
यद्गृहे तिष्ठति सोवै लक्ष्म्याभाजनं भवेत्

द्वितीय रहस्य- शंख दो प्रकार के होते हैं:- दक्षिणावर्ती एवं वामावर्ती। लेकिन एक तीसरे प्रकार का भी शंख पाया जाता है जिसे मध्यावर्ती या गणेश शंख कहा गया है।

* दक्षिणावर्ती शंख पुण्य के ही योग से प्राप्त होता है। यह शंख जिस घर में रहता है, वहां लक्ष्मी की वृद्धि होती है। इसका प्रयोग अर्घ्य आदि देने के लिए विशेषत: होता है।

* वामवर्ती शंख का पेट बाईं ओर खुला होता है। इसके बजाने के लिए एक छिद्र होता है। इसकी ध्वनि से रोगोत्पादक कीटाणु कमजोर पड़ जाते हैं।

* दक्षिणावर्ती शंख के प्रकार : दक्षिणावर्ती शंख दो प्रकार के होते हैं नर और मादा। जिसकी परत मोटी हो और भारी हो वह नर और जिसकी परत पतली हो और हल्का हो, वह मादा शंख होता है।

* दक्षिणावर्ती शंख पूजा : दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना यज्ञोपवीत पर करनी चाहिए। शंख का पूजन केसर युक्त चंदन से करें। प्रतिदिन नित्य क्रिया से निवृत्त होकर शंख की धूप-दीप-नैवेद्य-पुष्प से पूजा करें और तुलसी दल चढ़ाएं।

प्रथम प्रहर में पूजन करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। द्वितीय प्रहर में पूजन करने से धन- सम्पत्ति में वृद्धि होती है। तृतीय प्रहर में पूजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है। चतुर्थ प्रहर में पूजन करने से संतान प्राप्ति होती है। प्रतिदिन पूजन के बाद 108 बार या श्रद्धा के अनुसार मंत्र का जप करें।

तीसरा रहस्य... विविध नाम : शंख, समुद्रज, कंबु, सुनाद, पावनध्वनि, कंबु, कंबोज, अब्ज, त्रिरेख, जलज, अर्णोभव, महानाद, मुखर, दीर्घनाद, बहुनाद, हरिप्रिय, सुरचर,  जलोद्भव, विष्णुप्रिय, धवल, स्त्रीविभूषण, पांचजन्य, अर्णवभव आदि।

चौथा रहस्य... महाभारत यौद्धाओं के पास शंख : महाभारत में लगभग सभी यौद्धाओं के पास शंख होते थे। उनमें से कुछ यौद्धाओं के पास तो चमत्कारिक शंख होते थे। जैसे भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय:।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदर:।।-महाभारत
अर्जुन के पास देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंतविजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक था। सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी। कई देवी देवतागण शंख को अस्त्र रूप में धारण किए हुए हैं। महाभारत में युद्धारंभ की घोषणा और उत्साहवर्धन हेतु शंख नाद किया गया था।

अथर्ववेद के अनुसार, शंख से राक्षसों का नाश होता है- शंखेन हत्वा रक्षांसि। भागवत पुराण में भी शंख का उल्लेख हुआ है। यजुर्वेद के अनुसार युद्ध में शत्रुओं का हृदय दहलाने के लिए शंख फूंकने वाला व्यक्ति अपिक्षित है।

अद्भुत शौर्य और शक्ति का संबल शंखनाद से होने के कारण ही योद्धाओं द्वारा इसका प्रयोग किया जाता था। श्रीकृष्ण का ‘पांचजन्य’ नामक शंख तो अद्भुत और अनूठा था, जो महाभारत में विजय का प्रतीक बना।

 पांचवां रहस्य... नादब्रह्म : शंख को नादब्रह्म और दिव्य मंत्र की संज्ञा दी गई है। शंख की ध्वनि को ॐ की ध्वनि के समकक्ष माना गया है। शंखनाद से आपके आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का नाश तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शंख से निकलने वाली ध्वनि जहां तक जाती है वहां तक बीमारियों के कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

छठा रहस्य... धन प्राप्ति में सहायक शंख : शंख समुद्र मंथन के समय प्राप्त चौदह अनमोल रत्नों में से एक है। लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी भ्राता भी कहा जाता है। यही कारण है कि जिस घर में शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है।

*यदि मोती शंख को कारखाने में स्था‍पित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है। यदि व्यापार में घाटा हो रहा है, दुकान से आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाए तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।

*यदि मोती शंख को मंत्र सिद्ध व प्राण-प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाए तो उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।

*मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज 'ॐ श्री महालक्ष्मै नम:' 11 बार बोलकर 1-1 चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।

इसी तरह प्रत्येक शंख से अलग अलग लाभ प्रा‍प्त किए जा सकते हैं।

सातवां रहस्य... शंख पूजन का लाभ : शंख सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप है जिसके मध्य में वरुण, पृष्ठ में ब्रह्मा तथा अग्र में गंगा और सरस्वती नदियों का वास है। तीर्थाटन से जो लाभ मिलता है, वही लाभ शंख के दर्शन और पूजन से मिलता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, शंख चंद्रमा और सूर्य के समान ही देवस्वरूप है। इसके मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा और अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का निवास है। शंख से शिवलिंग, कृष्ण या लक्ष्मी विग्रह पर जल या पंचामृत अभिषेक करने पर देवता प्रसन्न होते हैं।

आठवां रहस्य... सेहत में फायदेमंद शंख : शंखनाद से सकारात्मक ऊर्जा का सर्जन होता है जिससे आत्मबल में वृद्धि होती है। शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते।

शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों का व्यायाम होता है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वद्धक और समृद्धि दायक कहा गया है।

पेट में दर्द रहता हो, आंतों में सूजन हो अल्सर या घाव हो तो दक्षिणावर्ती शंख में रात में जल भरकर रख दिया जाए और सुबह उठकर खाली पेट उस जल को पिया जाए तो पेट के रोग जल्दी समाप्त हो जाते हैं। नेत्र रोगों में भी यह लाभदायक है। यही नहीं, कालसर्प योग में भी यह रामबाण का काम करता है।

 नौवां रहस्य... सबसे बड़ा शंख : विश्व का सबसे बड़ा शंख केरल राज्य के गुरुवयूर के श्रीकृष्ण मंदिर में सुशोभित है, जिसकी लंबाई लगभग आधा मीटर है तथा वजन दो किलोग्राम है।

दसवां रहस्य... श्रेष्ठ शंख के लक्षण:-
शंखस्तुविमल: श्रेष्ठश्चन्द्रकांतिसमप्रभ:
अशुद्धोगुणदोषैवशुद्धस्तु सुगुणप्रद:

अर्थात् निर्मल व चन्द्रमा की कांति के समानवाला शंख श्रेष्ठ होता है जबकि अशुद्ध अर्थात् मग्न शंख गुणदायक नहीं होता। गुणोंवाला शंख ही प्रयोग में लाना चाहिए। क्षीरसागर में शयन करने वाले सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु के एक हाथ में शंख अत्यधिक पावन माना जाता है। इसका प्रयोग धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष रूप से किया जाता है।

ग्यारहवां रहस्य- शंख से वास्तु दोष का निदान : शंख से वास्तु दोष भी मिटाया जा सकता है। शंख को किसी भी दिन लाकर पूजा स्थान पर पवित्र करके रख लें और प्रतिदिन शुभ मुहूर्त में इसकी धूप-दीप से पूजा की जाए तो घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है। शंख में गाय का दूध रखकर इसका छिड़काव घर में किया जाए तो इससे भी सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।

बारहवां रहस्य- *गणेश शंख: इस शंख की आकृति भगवान श्रीगणेश की तरह ही होती है। यह शंख दरिद्रता नाशक और धन प्राप्ति का कारक है।

*अन्नपूर्णा शंख : अन्नपूर्णा शंख का उपयोग घर में सुख-शान्ति और  श्री समृद्धि के लिए अत्यन्त उपयोगी है। गृहस्थ जीवन यापन करने वालों को प्रतिदिन इसके दर्शन करने चाहिए।

*कामधेनु शंख : कामधेनु शंख का उपयोग तर्क शक्ति को और प्रबल करने के लिए किया जाता है। इस शंख की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

*मोती शंख : इस शंख का उपयोग घर में सुख और शांति के लिए किया जाता है। मोती शंख हृदय रोग नाशक भी है। मोती शंख की स्थापना पूजा घर में सफेद कपड़े पर करें और प्रतिदिन पूजन करें, लाभ मिलेगा।

ऐरावत शंख : ऐरावत शंख का उपयोग मनचाही साधना सिद्ध को पूर्ण करने के लिए, शरीर की सही बनावट देने तथा  रूप रंग को और निखारने के लिए किया जाता है।  प्रतिदिन इस शंख में जल डाल कर उसे ग्रहण करना चाहिए। शंख में जल प्रतिदिन 24 - 28 घण्टे तक रहे और फिर उस जल को ग्रहण करें, तो चेहरा कांतिमय होने लगता है।

*विष्णु शंख : इस शंख का उपयोग लगातार प्रगति के लिए और असाध्य रोगों में शिथिलता के लिए किया जाता है। इसे घर में रखने भर से घर रोगमुक्त हो जाता है।

*पौण्ड्र शंख : पौण्ड्र शंख का उपयोग मनोबल बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग विद्यार्थियों के लिए उत्तम है। इसे विद्यार्थियों को अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखना चाहिए।

*मणि पुष्पक शंख : मणि पुष्पक शंख की पूजा-अर्चना से यश कीर्ति, मान-सम्मान प्राप्त होता है। उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी इसका पूजन उत्तम है।

*देवदत्त शंख  : इसका उपयोग दुर्भाग्य नाशक माना गया है। इस शंख का उपयोग न्याय क्षेत्र में विजय दिलवाता है। इस शंख को शक्ति का प्रतीक माना गया है। न्यायिक क्षेत्र से जुड़े लोग इसकी पूजा कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

*दक्षिणावर्ती शंख : इस शंख को दक्षिणावर्ती इसलिए कहा जाता है क्योंकि जहां सभी शंखों का पेट बाईं ओर खुलता है वहीं इसका पेट विपरीत दाईं और खुलता है। इस शंख को देव स्वरूप माना गया है। 

दक्षिणावर्ती शंख के पूजन से खुशहाली आती है और लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ सम्पत्ति भी बढ़ती है। इस शंख की उपस्थिति ही कई रोगों का नाश कर देती है। दक्षिणावर्ती शंख पेट के रोग में भी बहुत लाभदायक है। विशेष कार्य में जाने से पहले दक्षिणावर्ती शंख के दर्शन करने भर से उस काम के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।