आज चर्चा . . " रत्नों " . . पर . . आज हर व्यक्ति " रत्न "
पहनना चाहता है . . लेकिन उसके बारे में उसे थोड़ी भी जानकारी नहीं होती
है . .
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= रत्नों के विषय में
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है - कि यह क्या होता है.- " रत्न " मूल रूप से
जैविक और अजैविक तत्व है.- तृणमणि (Amber), मूंगा (Coral), मोती (Pearl),
हाथी दांत (Lvory)जैविक रत्न हैं. - प्राकृतिक रत्न खनिज के रूप में पृथ्वी
के गर्भ से प्राप्त होता है.- रत्न जितना सुन्दर होता है उतना ही उत्तम
कोटि का होता है. रत्नों का कठोर होना भी इसका एक गुण होता है . . .
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रत्नों में अनेकों गुण होते हैं जिनमें प्रकाशीय गुण विशिष्ट स्थान रखता
है. . रत्नों के अंदर कई रंगों की आभा छिटकती रहती है जिसे गौर से देखने पर
विशेष आभा और चमक का भी अनुभव होता है. . . रत्नों की जांच के समय इसमें
मौजूद प्रकाशीय गुण भी सहायक होता है . . . इसी की सहायता से रत्नों की
सत्यता ज्ञात की जाती है. .
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रत्नों की जांच स्पेक्ट्रम द्वारा की जाती है. . स्पेक्ट्रोमस्कोप में
रत्नों से निकलने वाली रोशनी अलग अलग रंगों के स्पेक्ट्रम में बंट जाती है.
. इस विधि से रंग के माध्यम से रत्नों को पहचानना आसान हो जाता है. कुछ
रत्न ऐसे भी हैं जिनमें प्राकृतिक रोशनी में और कृत्रिम रोशनी में अलग अलग
आभा होती हैं. . पुखराज की विशेषता है कि यह सूर्य की रोशनी में अधिक
चमकीला नज़र आता है ,.. जबकि बल्ब की रोशनी में इसकी चमक कम हो जाती है. .
इसके विपरीत पन्ना और माणिक्य बल्ब की रोशनी में सूर्य के प्रकाश से अधिक
चमकीला दिखाई देते हैं. . हीरा एक ऐसा रत्न है जिसमें प्राकृतिक और कृत्रिम
रोशनी दोनों में ही समान आभा रहती है. . .
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जिस प्रकार द्रव्य पदार्थों को लीटर में तौला जाता है . और अनाज और अन्य
वस्तुओं को किलो में तौला जाता है . .उसी प्रकार रत्नों को भी तौल कर बेचा
जाता है. . . वर्तमान समय में रत्नों को तौलने का मात्रक कैरेट है. .
पुराने जमाने में इसे तोला, माशा और रत्ती में तौला जाता है. वर्तमान कैरेट
प्राणली के अन्तर्गत 200 मिलीग्राम का एक कैरेट होता है . .
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" रत्नों " में अद्भूत शक्ति होती है. " रत्न " अगर किसी के भाग्य को
आसमान पर पहुंचा सकता है . . तो किसी को आसमान से ज़मीन पर लाने की क्षमता
भी रखता है. . . रत्न के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए सही प्रकर से जांच
करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए . .. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण
करना चाहिए. रत्न धारण करते समय ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा का भी ख्याल
रखना चाहिए. . रत्न पहनते समय सही वज़न का ख्याल रखना आवश्यक होता है. .
अगर वज़न सही नहीं हो तो फल प्राप्ति में विलम्ब होता है . .
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" रत्न " किसी योग्य ज्योतिष की सलाह पर ही धारण करना चाहिए . . " रत्न "
सिद्ध करवाकर और शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए . . आजकल तो " रत्न "
लैब टेस्टेड ही धारण करना चाहिए . .
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रत्न . .= सूर्य ग्रह हेतु . . माणिक . . = चंद्र ग्रह हेतु .. मोती . . =
.मंगल ग्रह हेतु . . मूंगा . . = बुध ग्रह हेतु . . पन्ना . . . = गुरु
ग्रह हेतु . . पुखराज . . . = शुक्र ग्रह हेतु . . हीरा . . = शनि ग्रह
हेतु . . नीलम . . = राहु ग्रह हेतु . . गोमेद . . एवं . . केतु ग्रह हेतु .
. लहसुनिया . . धारण करते है .
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" रत्न " से सम्बंधित किसी भी जानकारी के लिए आप मुझसे " 08109820082 " पर
संपर्क कर सकते है . . . " एस्ट्रो रजनीश अग्रवाल " . . .
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