Tuesday, 3 November 2015

एक भाई ने प्रश्न किया है कि हर समय ॐ जपा जा सकता है या नहीं ?



 ॐ वैदिक मन्त्र है; इसलिये इसके जपकी स्त्रियों और शूद्रों के लिये वेद और स्मृतियों में मनाही है। बाकी सबका अधिकार है ही।
कोई-कोई ऐसा भी कहते हैं कि गृहस्थों को ॐ का जप नहीं करना चाहिये। इसका उच्चारण एकान्त, पवित्र देश में करना उत्तम है ही। मन से चाहे जब कर सकते हैं। अपवित्र अवस्था में वाणी के द्वारा उच्च स्वर से ॐ का जप नहीं करना चाहिये। मानसिक जप तो सूतक आदि अशौच में भी किया जा सकता है। उसके लिये तो कोई आपत्ति है ही नहीं।
जिनके लिए इसका निषेध है वे यदि यह समझें कि हमारा कल्याण कैसे होगा ॐ, राम, हरि, गोविन्द-ये सब परमात्मा थे ही शास्त्रीय नाम। किसी का भी उच्चारण करने से एक ही फल मिलता है। यदि का फल अधिक होता है और रामका कम होता, तब तो आपत्ति होती। तुलसीदासजी तो सब नामों से रामनामको ही श्रेष्ठ समझते हैं, किन्तु वास्तव में कोई भी कम-अधिक नहीं है। जिसको जिस नाम से लाभ मिला, उसने उसी की सर्वोपरी प्रशंसा कर दी।
मेरे विचार से तो राम, , कृष्ण, हरि, नारायण-सबके जप का एक ही फल है। इसलिये आपकी जिस नामों में रुचि हो, वही जप सकते हैं। आपको ॐ नाम से जो लाभ होगा, वही स्त्रियों को राम, गोविन्द, कृष्ण नाम के जप से हो सकता है।
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प्रवचन-तिथि ज्येष्ठ शुक्ल 8, संवत् 2001, प्रात:काल, वटवृक्ष, स्वर्गाश्रम।

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