भारत एक ऐसी जगह है जहां मनुष्य से
ज्यादा रीति-रिवाज़ों को तवज्जो दी जाती है।
भारतीयों के लिए यह संस्कार उनके
जीवन के मार्गदर्शक हैं, जिनका पालन करना हर रूप में आवश्यक है।
संस्कारों की बात हो तो हिन्दू
धर्म हमें निर्देशों की लंबी-चौड़ी लिस्ट देता है। इस धर्म में हर एक धार्मिक कार्य
को करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। इनका उल्लंघन करना वर्जित है।
किस प्रकार से पूजा करें, पूजा
की सामग्री, मंत्रों का सही उच्चारण, इत्यादि ऐसे बिंदु हैं जिन्हें बिना मार्गदर्शन के
करना व्यर्थ है।
क्या आप जानते हैं कि हिन्दू धर्म
में दिए गए प्रत्येक ‘मंत्र’ का यदि सही एवं सम्पूर्ण
रूप से उच्चारण नहीं किया जाए तो यह निष्फल होते हैं?
फिर आप चाहे उस मंत्र को एक बार या
फिर सौ बार या हज़ारों बार क्यों ना पढ़ लें। इसीलिए शास्त्रों में प्रत्येक मंत्र
को सही ढंग से पढ़ सकने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं।
हिन्दू धर्म में शामिल किए गए सभी
मंत्रों में एक मंत्र काफी पवित्र माना जाता है। इस मंत्र का स्थान उच्च है तथा
ऐसी मान्यता है कि इसका उच्चारण केवल पुरुष ही करते हैं।
यह मंत्र है ‘गायत्री
मंत्र’, जिसे ब्रह्मऋषि विश्वामित्र द्वारा ऋग्वेद में उल्लेखित करवाया गया था।
कहा जाता है कि इस मंत्र का विशेषकर उन लोगों द्वारा सबसे ज्यादा जाप किया जाता है
जिन्होंने पवित्र जनेऊ धारण कर रखा हो। इस मंत्र के द्वारा वे देवी का आह्वान करते
हैं। यह मंत्र सूर्य भगवान को समर्पित है।
गायत्री मंत्र सूर्य भगवान से
संबंधित होने के कारण ही ऐसा माना जाता है कि यह मंत्र सूर्योदय और सूर्यास्त के
समय पढ़ा जाना चाहिए। ऐसा करने से अधिक लाभ होता है। इसके
अलावा यह मंत्र जेनऊ धारण करते समय भी पढ़ा जाता है।
गायत्री मंत्र की मूल परिभाषा के
अलावा इस मंत्र से संबंधित कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो काफी कम लोग जानते हैं।
इनमें से एक है स्त्रियों का
पवित्र ‘गायत्री मंत्र’ ना पढ़ना।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार
स्त्रियां गायत्री मंत्र का जाप नहीं कर सकतीं।
शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र
के शब्द मानवीय शरीर के तीन चक्रों पर प्रभाव डालते हैं।
ये हैं मूलाधार, स्वाधिष्ठान
और मणिपुर। इन चक्रों पर गायत्री मंत्र का प्रभाव होता है।
चिकित्सकीय भाषा में मानवीय शरीर
में दो प्रकार के अंग होते हैं जिसमें से एक पिट्यूट्री होता है जो दिमाग में होता
है और दूसरा प्रोस्टेट होता है जो जननांग के समीप होता है। जैसे-जैसे शिशु का
विकास होता है, उसी प्रकार से लड़के और लड़की के विभिन्न हार्मोन जन्म लेते हैं। इन हार्मोन्स का व्यवहार पुरुष तथा स्त्रियों में अलग-अलग होता है इसीलिए
दोनों का शारीरिक आकार भी अलग होता है।
माना गया है कि यदि एक स्त्री
रोजाना गायत्री मंत्र का जाप करेगी तो वह एक पुरुष की तरह व्यवहार करने लगती है।
इतना ही नहीं, इसका असर उसके शारीरिक अंगों तथा त्वचा पर भी आता है। मुंह पर अनचाहे बाल आने लगते हैं जैसे कि पुरुषों के दाढ़ी के लिए आते हैं।
तथा उनके मासिक धर्म में भी दिक्कतें आने लगती हैं।
यदि वह स्त्री गर्भवती है या फिर
बच्चे को जन्म दे चुकी है तो उसे दूध आने में भी कठिनाई होती है। दूध का स्राव
पहले से काफी कम हो जाता है। कहते हैं कि यदि किसी स्त्री द्वारा काफी ज्यादा समय
तक गायत्री मंत्र का जाप किया जाए तो वह ना केवल व्यवहार में बल्कि देखने में भी
एक पुरुष की भांति बन सकती है।
उसका शरीर पुरुष की तरह मजबूत
मांसपेशियों वाला बन सकता है। इतना ही नहीं, इस मंत्र का बुरा असर उसकी
आवाज़ पर भी हो सकता है। उसकी आवाज़ भी एक पुरुष के भांति भारी हो सकती है। इसीलिए
गलती से भी स्त्रियों को गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
सभी बताए गए बुरे प्रभाव एक पल में
ही नहीं होते। बल्कि इन्हें अपना बदलाव दिखाने में काफी समय लगता है।
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