वेद के मन्त्र को सही विधि से सही
उच्चारण के द्वारा ही प्रयोग करने का विधान है।
वेद-मन्त्र के एक-एक शब्द में ही
नहीं, अपितु एक-एक अक्षर में भी एक से अधिक स्वर या मात्राएँ हो सकतीं हैं।
गलत उच्चारण करने से मन्त्र का
विपरीत प्रभाव होता है तथा साधक की बहुत हानि हो सकती है।
भारत में इस समय संभवतः सौ लोग भी
न होंगे, जो गायत्री मन्त्र का सही-सही उच्चारण कर सकें।
क्यों?
क्योंकि आज के स्कूलों में स्वर और
व्यंजनों का सही उच्चारण बताने वाले ही नहीं हैं।
यदि आपको यह वहम है कि आपका
उच्चारण सही है,
तो शौक से जपिये गायत्री मन्त्र।
लेकिन- उससे
आपको मिलेगा क्या?
भगवान् श्रीराम ने शबरी को नवधा
भक्ति का उपदेश देते हुए कहा-
प्रथम भगति संतन कर संगा।
कलियुग में वेद का एक ही मन्त्र
सर्वोच्च फलदायी है।
वह है कलियुग महामंत्र
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण
हरे हरे।।
यद्यपि कुछ न करने से कुछ न कुछ
करते रहना उचित है
फिर भी, सावधान
रहिए, कहीं अनजाने में आप किसी खतरे में न पड़ जाएँ।
राधे
राधे
The
Gayatri Mantra, is from Rig Veda. One must never chant it after sunset. Also,
singing it in just any tune as devotional singers are doing nowadays is an
absolute no- no.
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