= पुजा घर ईशान कोण मे हो पुजा करने वाले का मुख उत्तर या पुर्व दिशा मे हो . .
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= शयनकक्ष मे पुजा घर न हो, अगर स्थानाभाव हो तो पुजा घर मे पर्दा लगा ले . .
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= पुजा घर के आस पास या उपर- नीचे शौचालय न बनाये . घर की सीढीयो के नीचे पुजा घर न हो . .
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= पुजा घर मे 1 से 12 अंगुल तक की मुर्ति का पूजन करे . .
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= बाहरी व्यक्ति को मुर्ति के पास नही जाने देना चाहीये। इससे मुर्ति की उर्जा समाप्त होती है . .
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= किसी भी देवी या देवता की मुर्ति दिवार से थोडी हटाकर रखनी चाहिये . .
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= गणेश जी के दाहिने और विष्णु जी के बायें लक्ष्मी जी का स्थापना करनी चाहीये . .
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= धन ऐश्वर्य और शत्रु नाश के लिये चांदी के गणेश लक्ष्मी की स्थापना करनी चाहीये . .
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= पुजा के समय जलाये जानावाला दीपक यदि भूमी पर रखना हो तो उसके नीचे चावल अवश्य रखे . वर्ना घर मे चोरी हो सकती है .
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= पुजा घर की दिवारो का रंग पीले या सफ़ेद रंग का हो . .
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= पुजा घर के अग्निकोण मे दीप अवश्य जलाना चाहीये . .हवनकुण्ड और अगरबत्ती भी अग्निकोण मे रखे .
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= देवताओ को '' तांबा '' धातु प्रिय है अत: पुजन मे तांबे की धातु के बर्तनो का ही प्रयोग करे . .
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= विष्णु मंदिर की 4 बार . शिव जी की आधी . .देवी की 1 . सुर्य की 7 और गणेश जी की 3 परिक्रमा करनी चाहीये . .
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= उग्र और तामसी शक्तियो कि मुर्ति का मुख दक्षिण दिशा या दक्षिण पश्चिम मे हो . .
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= शिवलिंग पर चढे फ़ल,फ़ुल, नैवेद्य आदि का उपयोग न करे, उसे विसर्जित कर दे . .
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= प्रत्येक गृहस्थ को घर मे तुलसी का पौधा अवश्य रखना चाहीये . .सांयकाल मे तुलसी के नीचे दिप जलाकर 5 बार परिक्रमा करनी चाहीये . .
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= घर मे मुख्य रुप से 1 ही पुजा घर हो . छोटे छोटे कई पुजाघर हो तो इससे घर के सदस्य अशान्त रहते है . .
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