सत्संग से उठते समय आसन नहीं झटकना चाहिए। ऐसा करने वाला अपने पुण्यों का नाश करता है।
जूठे मुँह पढ़ना-पढ़ाना, शयन करना, मस्तक का स्पर्श करना कदापि उचित नहीं है।
यमराज
कहते हैं- 'जो मनुष्य जूठे मुँह उठकर दौड़ता और स्वाध्याय करता है, मैं
उसकी आयु नष्ट कर देता हूँ। उसकी सन्तानों को भी उससे छीन लेता हूँ। जो
अनध्याय के समय भी अध्ययन करता है, उसके वैदिक ज्ञान और आयु का नाश हो जाता
है।'
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
जिसके गोत्र और प्रवर अपने ही समान हों तथा जो नाना के कुल में उत्पन्न
हुई हो, जिसके कुल का पता न हो, उसके साथ विवाह नहीं करना चाहिए।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
No comments:
Post a Comment