पुस्तकें खुली छोड़कर न जायें। उन पर पैर न रखें और उनसे
तकिये का काम न लें। धर्मग्रन्थों का विशेष आदर करते हुए स्वयं शुद्ध,
पवित्र व स्वच्छ होने पर ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए। उँगली मे थूक लगाकर
पुस्तकों के पृष्ठ न पलटें।
दूसरे के पहने हुए कपड़े, जूते आदि न पहनें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
हाथ-पैर
से भूमि कुरेदना, तिनके तोड़ना, बार-बार सिर पर हाथ फेरना, बटन टटोलते
रहना – ये बुरे स्वभाव के चिह्न हैं। अतः ये सर्वथा त्याज्य हैं।
आसन को पैर से खींचकर या फटे हुए आसन पर न बैठें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
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