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हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी - देवताओ की पुजा अर्चना के साथ
ही उनकी परिक्रमा का बहुत ही मह्त्व है . . परिक्रमा सदैव दाये हाथ की तरफ़
से प्रारंभ करनी चाहिये . . अर्थात दाहिना अंग देवता की तरफ़ होना चाहिये .
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= गणेश जी की 3 परिक्रमा . .
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= भगवान शिव की आधी परिक्रमा . .
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= भगवान विष्णु जी की 4 परिक्रमा . .
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= माता जी की 1 और 3 परिक्रमा . .
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= भगवान सुर्य की 7 परिक्रमा . .
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= हनुमान जी की 3 परिक्रमा . .
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= शनिदेव जी की 7 परिक्रमा . .
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= पीपल की 7 परिक्रमा . .
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जिन देवताओं की परिक्रमा का विधान न मालूम हो . . उनकी 3 परिक्रमा करनी
चाहिये . . सोमवती अमावस्या के दिन देवताओं की 108 परिक्रमा करना विशेष
फलदायी होता है . . .
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