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*श्राद्ध कर्म एकादशी के दिन वर्जित*
श्रील जीव गोस्वामी ने अनेक शास्त्रों से
उद्धरण दिये हैं जिनमें कहा गया है कि पितरों को एकादशी तिथि को श्राद्ध की
आहुतियाँ नहीं दी जानी चाहिए। जब मृत्यु तिथि एकादशी को हो तो श्राद्ध कर्म एकादशी
के दिन नहीं, अपितु अगले दिन द्वादशी को करना चाहिए। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया
है –
*ये कुर्वन्ति महीपाल श्राद्धं चैकादशी-दिने।*
*त्रयस्ते नरकं यान्ति दाता भोक्ता च प्रेरकः॥*
यदि कोई अपने पुरखों की श्राद्ध की
आहुतियाँ एकादशी तिथि को देता है, तो श्राद्धकर्ता एवं वे पुरखे जिनके लिए
श्राद्ध किया जाता है तथा पुरोहित तीनों नरकगामी होते हैं।
स्रोत
:श्रीमद्-भागवतम्, सप्तम् स्कन्ध(भागवतम् सन्देश)
सौ: श्रीराधारमण दासी परिकर
*जय गौर हरि*
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